नशे के दलदल में धंस रहा यंगिस्तान!

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Sep, 2017 09:47 AM

intoxicated of bog in be steady youth

यूथ को किसी भी देश की मैन पावर कहा जाता है। सेना हो या पुलिस इनमें भर्ती करने के लिए 17-18 साल के जोशीले युवकों की जरूरत रहती है...

कुल्लू: यूथ को किसी भी देश की मैन पावर कहा जाता है। सेना हो या पुलिस इनमें भर्ती करने के लिए 17-18 साल के जोशीले युवकों की जरूरत रहती है जो अपराध, दुश्मन, आतंकवाद या देशद्रोही गतिविधियों में संलिप्त लोगों को कंट्रोल करेंगे। आगे चलकर इसी आयु वर्ग के लोग देश को चलाएंगे। कार्य करने की क्षमता के लिहाज से भी यूथ पर ही देश का दारोमदार टिका हुआ होता है। आमतौर पर व्यक्ति को 35-40 वर्ष की उम्र तक यूथ की ही श्रेणी में रखा जाता है। किसी भी बड़े परिवर्तन में यूथ अहम भूमिका में रहता है। जब यही यूथ नशे के दलदल में धंसकर एक जिंदा लाश बन जाए तो वह समाज और वह देश किस दिशा में जाएगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। 


नशे की तस्करी में युवा ही आगे
नशे की तस्करी में युवा ही आगे हैं। जुलाई और अगस्त महीने में पुलिस ने जिला के विभिन्न स्थानों में नशे की तस्करी के 20 मामले दर्ज किए। इनमें जुलाई महीने में 7 और अगस्त में 13 मामले दर्ज हुए। इन दर्ज मामलों के तहत 26 लोग सलाखों के पीछे पहुंचे। इसके बाद चालू सितम्बर माह में अब तक 4 और मामले दर्ज हुए जिनमें 4 लोगों को धरा गया। इन सभी मामलों में अब तक पकड़े गए सभी आरोपियों की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच ही है। हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें 18 से 25 वर्ष के 17 लोग ऐसे हैं जो नशे की तस्करी करने के जुर्म में सलाखों के पीछे पहुंचे। पकड़े गए ज्यादातर लोग 35 वर्ष से कम उम्र के ही हैं। इस उम्र में युवा देश के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा होता है। नशे की तस्करी को आसानी से पैसा कमाने का जरिया मानकर यूथ इस दलदल में धंसता जा रहा है। 


नशे के किले को ध्वस्त करने की जरूरत
कई लोग ऐसे भी हैं जो नशे को खेप को ठिकाने लगाने में कामयाब हो रहे हैं। नशे की खेप को कुल्लू से उठाकर देश के विभिन्न प्रांतों तक पहुंचाने में कई सफल भी हो रहे हैं। जानकारों के एक अनुमान के मुताबिक पुलिस तो नशीले पदार्थों के 10 फीसदी तस्करों को भी नहीं पकड़ पाती। पुलिस व अन्य एजैंसियों को चकमा देने वाले मामलों को भी जोड़ा जाए तो नशे की बड़ी खेप प्रतिदिन इधर से उधर हो जाती है। ऐसे में पुलिस को नशे के कारोबार से जुड़े बड़े मगरमच्छों पर शिकंजा कसने की जरूरत है ताकि नशे के किले पर चढ़ाई करके नशे के जखीरे को ही नेस्तनाबूद किया जा सके। 


हैरत में डालने वाली कई बातें
मंडी से लेकर कुल्लू, मनाली या मणिकर्ण तक कई दुकानों में चरस, अफीम, कोकीन, ब्राऊन शूगर, स्मैक व हैरोइन सहित अन्य नशों की बिक्री होती है। खुफिया एजैंसियां भी संबंधित रिपोर्ट में ऐसा खुलासा कर चुकी हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि चाय के छोटे खोखों में भी काले सोने की बिक्री हो रही है। कई जगह बीड़ी, सिगरेट व पान की दुकानों में भी नशा मिल रहा है। कई लोग ऐसे भी हैं जो चलती-फिरती नशे की दुकान बनकर घूम रहे हैं। आम जगहों पर कई बार लोगों और युवाओं को नशे का सेवन करते हुए देखा जा रहा है। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि आखिर हर रोज इस्तेमाल के लिए इन लोगों के पास नशा आ कहां से रहा है।  

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