अंतर्राष्ट्रीय रेणुका मेले में आज भी निभाई जा रही ये सदियों पुरानी परंपरा (Watch Pics)

Edited By Vijay, Updated: 10 Nov, 2019 04:29 PM

international renuka fair

अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले में सदियों से चली आ रहीं कई परंपराएं आज भी कायम हैं। इन्हीं में से एक है यहां अनाज के दाने चढ़ाने की परंपरा। आइए इस परंपरा के बारे में आपको बताते हैं। रेणुका मेले के दौरान जो भी श्रद्धालु यहां माता रेणुका व भगवान...

नाहन (सतीश): अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले में सदियों से चली आ रहीं कई परंपराएं आज भी कायम हैं। इन्हीं में से एक है यहां अनाज के दाने चढ़ाने की परंपरा। आइए इस परंपरा के बारे में आपको बताते हैं। रेणुका मेले के दौरान जो भी श्रद्धालु यहां माता रेणुका व भगवान परशुराम के दर्शन करने आते हैं वे अनाज के दाने भी चढ़ाते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां अनाज के दाने चढ़ाकर किसान अच्छी फसल होने की कामना करते हैं। किसान नई फसल के दाने यहां भगवान परशुराम और माता रेणुका के दरबार में चढ़ाते हैं, उसके बाद ही घर में नए अनाज को खाने की शुरूआत की जाती है।
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उत्तराखंड से भी परंपरा निभाने आते हैं लोग

हिमाचल ही नहीं पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से भी लोग यहां इस परंपरा को निभाने आते हैं। लोगों द्वारा स्नान घाट से लेकर परशुराम मंदिर तक बिछाए गए कपड़ों के ऊपर थोड़े-थोड़े अनाज के दाने डाले जाते हैं। मान्यता के अनुसार यहां अनाज डालने से ब्राह्मण को भोजन जीमाने का फल भी प्राप्त होता है। यहां पहुंचे लोगों ने बताया कि यह परंपरा कई सदियों से चली आ रही है, जिसे वे आज भी बखूबी निभा रहे हैं। उन्होंनेे बताया कि भगवान परशुराम और माता रेणुका की कृपा से हर वर्ष फसल का अच्छा उत्पादन होता है।
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पहले लगती थी बोली, अब गौसदन में भेजा जाता है अनाज

हर वर्ष रेणुका जी मेले में 25 से 30 क्विंटल अनाज एकत्रित हो जाता है। पहले इस अनाज की बोली लगाई जाती थी लेकिन अब इसे गौसदन भेज दिया जाता है, जहां इसका अच्छे तरीके से सदुपयोग किया जाता है।
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