गेहूं पर अंतर्राष्ट्रीय समूह की 3 दिवसीय बैठक शुरू, 200 वैज्ञानिकों ने लिया हिस्सा

Edited By kirti, Updated: 14 Feb, 2019 04:43 PM

international meeting of the international group on wheat

गेहूं पर अंतरराष्ट्रीय समूह बैठक का आगाज प्रदेश कृषि विवि के सभागार में हुआ। भारतीय गेहूं व जौ अनुसन्धान संस्थान, करनाल तथा गेहूं व जौ विकास सोसायटी के सौजन्य से आयोजित की जा रही बैठक में यू.के., ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, मैक्सिको, जॉर्डन, मोरक्को तथा...

पालमपुर(सन्जीव) : गेहूं पर अंतरराष्ट्रीय समूह बैठक का आगाज प्रदेश कृषि विवि के सभागार में हुआ। भारतीय गेहूं व जौ अनुसन्धान संस्थान, करनाल तथा गेहूं व जौ विकास सोसायटी के सौजन्य से आयोजित की जा रही बैठक में यू.के., ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, मैक्सिको, जॉर्डन, मोरक्को तथा भारत के उच्च कोटि के 200 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। तीन दिवसीय अंतर्राश्ट्रीय समूह बैठक का मुख्य विषय ‘‘जलवायु अनुकूल गतिविधियों से गेहूं उत्पादन में वृद्धि’’ है तथा 6 उप-विषयों में-आनुवंशिकी उपायों द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में अनुकूलता लाना, बदलते जलवायु परिवेश में जैविक दबाव, बदलते जलवायु परिवेश के सम्बन्ध में अजैविक दबाव, उत्पादकता वृद्धि के लिए संसाधनों की पहचान, बदलती, खाद्य आदतें और जलवायु परिवर्तन के अनुसार उपज मुल्य सम्बर्द्धन तथा टिकाऊ खेती अपनाने हेतु जलवायु परिवर्तन के प्रभाव शामिल हैं।

बैठक का उद्घाट्न भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के पूर्व महानिदेशक डा. वी.एल. चोपड़ा ने किया तथा अंतर्राष्ट्रीय मक्का व गेहूं विकास केन्द्र, मैक्सिको के महानिदेशक डॉ. मार्टिन ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। प्रदेश कृषि विवि में इस तरह की अंतरराष्ट्रीय बैठक का आयोजन पहली बार किया जा रहा है। मुख्य अतिथि प्रो.वी.एल.चोपड़ा ने कहा कि जलवायु स्मार्ट प्रथाओं के माध्यम से गेहूं उत्पादकता में वृद्धि एक समय पर और एक महत्वपूर्ण मुद्दा था। उन्होंने कहा कि गेहूं की उत्पादकता शीर्ष बिंदु पर थी। इसलिए इसे अगले स्तर तक ले जाना वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती थी। उपज के स्तर को तोड़ने के लिए, संयंत्र को अधिक बायोमास का उत्पादन करने की अनुमति देने के लिए काम किया जाना चाहिए। समय आ गया है कि संचालन प्रक्रियाओं को संशोधित किया जाए।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च करनाल के निदेशक, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. जी.पी. सिंह ने बताया कि पालमपुर अंतरराष्ट्रीय समूह की चौथी बैठक। हिमाचल गेंहू के हिसाब से महत्वपुर्ण प्रदेश है। उत्पादन के दौरान जो बीमारियां होती है उनकी रोकथाम में हिमाचल काफी सहायता करता है। हिमाचल के शिमला मे भी प्रयोगशाला है जिसमें कई तरह की बीमारियों के कारणों को एकत्रित करके रखा जाता है और उनको वैज्ञानिक तरीके समाप्त किया जाता है ताकी यह आगे न बढ़ पाए।

वहीं डॉ. जी.पी. सिंह ने कहा कि विश्व स्तर पर गेहूं उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर रहा है और भारत मे 300 लाख हैक्टर में गेंहू का उत्पादन होता है। गेहूं उत्पादन में पिछले एक दशक में भारत आगे बढ़ा है। करीब करीब 30 मिलियन टन उत्पादन गेहूं का उत्पादन भारत में होता है। पिछले दो सालों में बढ़ा है रिकॉर्ड उत्पादन भारत सरकार का लक्ष्य 100 टन गेहूं का उत्पादन का लक्ष्य है लेकिन संस्थान ने 105 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य स्वीकार किया है।

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