Edited By Ekta, Updated: 08 Oct, 2019 05:58 PM
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का विधिवत आगाज मंगलवार को आराध्य देव रघुनाथ जी की रथयात्रा के साथ शुरू हुआ। दोपहर बाद सुल्तानपुर मंदिर से रघुनाथ जी की पालकी ऐतिहासिक ढालपुर मैदान के लिए पूरे रीति-रिवाजों के साथ निकली, जिसकी अगुवाई कुल्लू राजपरिवार...
मंडी/कुल्लू (पुरूषोत्तम): अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का विधिवत आगाज मंगलवार को आराध्य देव रघुनाथ जी की रथयात्रा के साथ शुरू हुआ। दोपहर बाद सुल्तानपुर मंदिर से रघुनाथ जी की पालकी ऐतिहासिक ढालपुर मैदान के लिए पूरे रीति-रिवाजों के साथ निकली, जिसकी अगुवाई कुल्लू राजपरिवार के सदस्यों ने मुख्य छड़ीवरदार महेश्वर सिंह के साथ की। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने अटल संस्कृति सदन में परिवार सहित बैठकर रथयात्रा वन, परिवहन एवं खेल मंत्री गोविंद ठाकुर के साथ देखी। रथयात्रा ठीक 4 बजकर 45 मिनेट पर शुरू हुई और हजारों की संख्या में लोगों ने रस्सा खिंचकर रथ को आगे अस्थाई कैम्प तक ले गए। वहीं 7 दिन तक ढालपुर के अस्थाई शिविर में विधिवत पूजा-अर्चना होगी।
रथयात्रा में करीब 50 देवी-देवताओं ने हाजरी भरी जबकि उत्सव में पहले दिन करीब 220 देवी देवता अपने हारियानों के साथ ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते गाते पहुंचे। रथयात्रा से ऐसा लग रहा था जैसे स्वर्गलोक से देवता जमीन पर उतर आए हों। चारों ओर ढोल-नगाड़ों की थाप और शहनाइयों, करनाल व रणसिंगों के समवेत स्वरों से समूचा कुल्लू देवमय हो उठा। देव धूमल नाग ने रथ चलने के लिए स्वयं मोर्चा संभालते हुए आगे ट्रैफिक पुलिस की तरह भूमिका निभाते हुए रास्ता बनाया। देश-विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटकों और श्रद्धालुओं ने रथयात्रा का नजारा अपने आंखों से देखा।
अवकाश के चलते कुल्लू के लगभग हर परिवार से सदस्यों ने इसमें भाग लिया। 7 दिन तक चलने वाले इस उत्सव की खासियत यह है कि देश में जब दशहरा सम्पन होता है तो कुल्लू का दशहरा विजयदशमी के नाम से शुरू हो जाता है। साथ दिन तक देवता अस्थाई शिविरों में टेंट लगाकर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं वहीं ऐतिहासिक लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में 6 दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम दिन रात चलते हैं जिसमें कई देशों के सांस्कृतिक दल भी प्रस्तुति देने आते हैं।