भारत-चीन सीमा पर हिमाचल के आखिरी गांव तक पहुंची सड़क, ITBP के जवानों का हौसला बढ़ा

Edited By Ekta, Updated: 09 Jul, 2018 11:17 AM

indo china border on himachal of the last village reached road

भारत-चीन सीमा पर कौरिक के बाद अब चारंग और छितकुल गांव भी सड़क नैटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों गांवों तक सड़क बनने से यहां तैनात भारतीय अर्द्धसैनिक बलों (आई.टी.बी.पी.) के आधा दर्जन कैंप सड़क से जुड़ गए हैं। इसके बाद अब चीन पहले की तरह भारत पर अपनी...

शिमला (हेटा): भारत-चीन सीमा पर कौरिक के बाद अब चारंग और छितकुल गांव भी सड़क नैटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों गांवों तक सड़क बनने से यहां तैनात भारतीय अर्द्धसैनिक बलों (आई.टी.बी.पी.) के आधा दर्जन कैंप सड़क से जुड़ गए हैं। इसके बाद अब चीन पहले की तरह भारत पर अपनी आंखें नहीं तरेर पाएगा। केंद्र सरकार हिमाचल के किन्नौर में 3 बॉर्डर रोड बना रही है। इनमें 20.750 किलोमीटर लंबी छितकुल-दुमती और 19.900 किलोमीटर लंबी थांगी-चारंग सड़क भारत के आखिरी गांव तक पहुंचा दी गई है। 


छितकुल-दुमती सड़क पर अब 2 पुल और 7 किलोमीटर सड़क पर टारिंग का काम शेष बचा है जबकि थांगी-चारंग सड़क के 8 किलोमीटर हिस्से में टारिंग, सोलिंग व बीयरिंग का काम शेष रहा है। इसी तरह तीसरी कोटा-डोगरी 6 किलोमीटर लंबी सड़क का भी 70 फीसदी काम पूरा हो गया है। आखिरी गांव डोगरी तक अब 2 किलोमीटर सड़क बनानी शेष रही है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन तीनों सड़कों को अहम माना जा रहा है। बीते साल डोकलाम विवाद के बाद केंद्र सरकार ने इनके काम में तेजी लाने के निर्देश दिए थे। 


इन सड़कों के बनने से आई.टी.बी.पी. के जवानों का हौसला बढ़ा है क्योंकि अब तक इन जवानों को चीन सीमा तक पहुंचने में कई दिन लग जाते थे। खास कर बर्फबारी के दौरान जरूरी खाद्य वस्तुओं इत्यादि की सप्लाई कर पाना मुश्किल हो जाता है। आई.टी.बी.पी. के जवान कई बार पैदल या फिर घोड़ों पर बैठकर चारंग, छितकुल और डोगरी पहुंचते थे। अब भारत सरकार 3 गांवों तक हाईवे का निर्माण कर चुकी है। युद्ध जैसी स्थिति में ये सड़कें मील का पत्थर साबित होंगी। इसके बाद चीन की घुसपैठ का भी आसानी से जवाब दिया जा सकेगा। इन सड़कों के बन जाने से आई.टी.बी.पी. समेत स्थानीय लोगों को आने-जाने में मदद मिलेगी।


पी.डब्ल्यू.डी. कर रहा इन सड़कों का निर्माण
केंद्र सरकार ने तीनों बॉर्डर रोड के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को एग्जीक्यूटिंग एजैंसी नियुक्त कर रखा है। लिहाजा राष्ट्रीय महत्व की इन तीनों सड़कों को बनाने का काम प्रदेश का पी.डब्ल्यू.डी. महकमा कर रहा है। इनके निर्माण पर करीब 86 करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैं।

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