भारत में तपेदिक को 2025 तक समाप्त करने की बनाई योजना: जेपी नड्डा

Edited By Ekta, Updated: 28 Sep, 2018 10:25 AM

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केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि हमारा लक्ष्य तपेदिक रोग के गुणवत्तापूर्ण निदान और उपचार तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के विजन को साकार करना और बहु क्षेत्रीय कदमों के जरिए तपेदिक के सामाजिक निर्धारकों से जुड़े...

बिलासपुर (ब्यूरो): केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि हमारा लक्ष्य तपेदिक रोग के गुणवत्तापूर्ण निदान और उपचार तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के विजन को साकार करना और बहु क्षेत्रीय कदमों के जरिए तपेदिक के सामाजिक निर्धारकों से जुड़े मुद्दे को सुलझाना है। न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र में तपेदिक पर आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नड्डा ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तपेदिक रोग की समस्या से मुस्तैदी से निपटने के लिए व्यक्तिगत प्रतिबद्धता दिखाई है। इसके तहत तपेदिक मुक्त भारत अभियान लांच करके भारत ने 2030 तक के एस.डी.जी. के लक्ष्य से पांच साल पहले यानी वर्ष 2025 तक ही तपेदिक का खात्मा करने की योजना बनाई है। 

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमने तपेदिक का खात्मा करने के लिए एक मरीज केंद्रित और समुदाय आधारित मॉडल अपनाया है। भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में तपेदिक मुक्त भारत के विजन को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है। नड्डा ने कहा इस विजन को साकार करने के लिए एक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना पर अमल शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने चालू वर्ष में इस योजना के कार्यान्वयन के लिए 430 मिलियन अमरीकी डॉलर आबंटित किए हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में 54 प्रतिशत अधिक है। नड्डा ने कहा कि भारत तपेदिक मामलों की निगरानी और इन्हें अधिसूचित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का अभिनव उपयोग कर रहा है। 

तपेदिक मरीजों की देखभाल के लिए उन तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं की भी सेवाएं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि तपेदिक रोग से जुड़े अनुसंधान और विकास के लिए लंबे समय से अपेक्षा से कम धनराशि मुहैया करवाने के कारण भी तपेदिक बीमारी अब भी एक चुनौती बनी हुई है। नड्डा ने बताया कि तपेदिक की दवाओं, नैदानिक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों तक न्यायसंगत या समान पहुंच सुनिश्चित करना अब भी चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि दवाओं और नई प्रौद्योगिकियों तक पहुंच के मार्ग में मौजूद सभी बाधाओं को दूर करना होगा, जिनमें डब्ल्यू.टी.ओ. ट्रिप्स समझौते और दोहा घोषणापत्र के लचीले प्रावधानों का उपयोग करना भी शामिल है।

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