कुपोषण का बढ़ रहा स्तर चिंता का विषय, निरोग जीवन के लिए पारंपरिक अनाज से बने पकवानों को दें महत्व

Edited By Simpy Khanna, Updated: 12 Sep, 2019 01:16 PM

increasing level of malnutrition is a matter of concern

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से बाल विकास परियोजना रामपुर द्वारा गौरा वृत में पोषाहार दिवस मनाया गया। इस दौरान ग्रामीण महिलाओं को एकत्रित कर उन्हें पारंपरिक उत्पादों से कौन-कौन से पकवान बनाए जा सकते हैं और इनमें कितनी पौष्टिकता होती है,...

रामपुर (विशेषर नेगी) : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से बाल विकास परियोजना रामपुर द्वारा गौरा वृत में पोषाहार दिवस मनाया गया। इस दौरान ग्रामीण महिलाओं को एकत्रित कर उन्हें पारंपरिक उत्पादों से कौन-कौन से पकवान बनाए जा सकते हैं और इनमें कितनी पौष्टिकता होती है, के बारे में विस्तार से बताया गया।ग्रामीण महिलाओ को बताया कि सदियों से पारंपरिक फसलें उगाई जाती है। इन फसलों में सभी प्रकार के पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं ,लेकिन लोगों ने समय के साथ-साथ इन्हें उगाना छोड़ दिया।
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उन्हें बताया कि स्वस्थ व निरोग और लंबी आयु जीने के लिए यह जरूरी है कि हम बिना रसायनों के प्रयोग से तैयार फसलों को ही प्रयोग करें। बाजार में आज जो खाद्य पदार्थ मिलते हैं, उनमें वह रसायनों के छिड़काव से तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा जो जंक फूड आधुनिकता की दौड़ में खाया जा रहा है, वह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए प्रयास करें कि घरेलू पारम्परिक पकवानों को बनाकर उनका प्रयोग करें।
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इससे पूर्व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व ग्रामीण महिलाओं ने धारा-गौरा बाजार में और गांव में रैली निकाली और लोगों को स्वस्थ व संतुलित आहार के फायदे बताये। बाल विकास परियोजना अधिकारी अजय बदरेल ने बताया कि देश-परदेश में कुपोषण का स्तर बढ़ रहा है। उसे देखते हुए हमारी पारंपरिक अनाज से बने पकवानों को ही महत्व दें। उन्होंने कहा हिमाचल प्रदेश में 26 फीसदी बच्चों की ग्रोथ आयु के हिसाब से नहीं हो रही है। यह दर पूरे भारतवर्ष में 38 फीसदी है जबकि शिमला जिला में यह दर 20 फीसदी।उन्होंने बताया कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में लौह तत्व की आवश्यकता रहती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में 54 फीसदी महिलाएं एनिमिक है। यही आंकड़ा शिमला जिले में 69 प्रतिशत है ,जबकि शिमला जिले में फलों की काफी पैदावार होती है,बावजूद इसके अनिमिक्ता का दर ज्यादा है जो चिंतनीय है।
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इस दौरान पंचायत प्रधान सुशीला गुप्ता, उप प्रधान विनोद ने बताया कि हमारे पहाड़ों पर तैयार होने वाली सभी फसलों में हर प्रकार के गुण एवं पौष्टिकता है। इनका सेवन किस तरह से पकवान बनाकर किया जाए इसे ध्यान देना होगा। इस दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और ग्रामीण महिलाओ ने पारम्परिक पकवानों को बना कर प्रदरहनि लगाई और लोगों को उन के गुणों के बारे बताया।आंगनवाड़ी सुपरवाइजर ज्वाला देवी ने बताया हमारा पुराना अनाज जैसे ओगला, कोदा, फाफरा जौ आदि को अब लोग भूल चुके हैं और बाजारों की चीजों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। जिनमें केमिकल अधिक होता है।
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उन्होंने कहा कि आज हमारे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और ग्रामीण महिलाओं ने स्थानीय उत्पादों को बनाकर प्रदर्शित किया और लोगों को इनके सेवन से मिलने वाली पौष्टिकता के बारे में बताया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीला देवी ने बताया आज पोषाहार दिवस में गांव की सभी औरतों को इकट्ठा कर उन्हें जागरूक करने की कोशिश की गई और उन्हें अपने खेतों में पारंपरिक फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया।

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