Edited By Ekta, Updated: 25 Jan, 2019 04:33 PM
एच.आर.टी.सी. की रीढ़ माने जाने वाले चालक-परिचालक इन दिनों विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। निगम व आम जनता की सेवा के लिए चालक-परिचालक दिन-रात काम करते हैं। एक तरफ निगम में पद रिक्त होने के चलते काम का बोझ बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ ओवर टाइम का पैसा भी...
नाहन: एच.आर.टी.सी. की रीढ़ माने जाने वाले चालक-परिचालक इन दिनों विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। निगम व आम जनता की सेवा के लिए चालक-परिचालक दिन-रात काम करते हैं। एक तरफ निगम में पद रिक्त होने के चलते काम का बोझ बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ ओवर टाइम का पैसा भी नहीं मिल रहा है। परिचालकों का कहना है कि पिछले करीब 18 माह से उन्हें ओवर टाइम का पैसा नहीं मिल रहा है। ऐसे में मनोबल गिरना स्वाभाविक है लेकिन मजबूरन ओवर टाइम करना पड़ रहा है। कई बार जरूरत के समय छुट्टी भी नहीं मिल पाती। बार-बार निगम व सरकार से ओवर टाइम के पैसे की गुहार लगाई जा रही है लेकिन 18 माह का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक राशि का भुगतान नहीं हो सका है। जब भी बात होती है तो बजट न होना इसका कारण माना जाता है।
प्रतिमाह औसतन 5,000 हो जाता है
सूत्रों की मानें तो निगम में पद रिक्त होने के चलते काम का बोझ अन्य पर पड़ता है। ऐसे में प्रतिमाह प्रति चालक-परिचालक औसतन 5,000 रुपए ओवर टाइम बन जाता है लेकिन 18 माह से यह पैसा न मिलने के चलते लाखों में पहुंच गया है। ऐसे में निगम के लिए भी एक साथ इस राशि का भुगतान करना आसान नहीं होगा।
बढ़ रहे रूट, स्टाफ नहीं
सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को घर-द्वार परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से लगातार बस रूटों में बढ़ौतरी की जा रही है लेकिन चालकों व परिचालकों की संख्या सीमित है। ऐसे में इन रूटों को चलाए रखने के लिए चालकों-परिचालकों से ओवर टाइम लिया जाता है।
इतने पद चल रहे रिक्त
लगातार घाटे में चल रहे हिमाचल पथ परिवहन निगम के लिए नई भर्ती करना भी आसान नहीं होता। जितनी अधिक संख्या कर्मचारियों की बढ़ेगी उतना ही अधिक आर्थिक बोझ भी निगम पर बढ़ेगा। ऐसे में घाटे से बाहर निकलने के लिए निगम को कड़े कदम उठाने होंगे। वर्तमान में यदि निगम में चालकों की बात करें तो निगम के पास 4,155 चालक हैं जबकि 429 पद रिक्त चल रहे हैं। इसी प्रकार निगम के पास 4,049 परिचालक हैं और 449 पद रिक्त चल रहे हैं।