बागवानों के पैसे पर HPMC की कुंडली

Edited By Ekta, Updated: 02 Sep, 2018 09:37 AM

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राज्य सरकार का उपक्रम एच.पी.एम.सी. बागवानों के पैसे पर कुंडली मारे बैठा है। बागवानों को बीते 3 साल से सेब की पेमैंट नहीं दी जा रही है। इस वक्त एच.पी.एम.सी. के पास बागवानों का 414.63 लाख रुपए बकाया पड़ा है। इससे बागवानों के सब्र का बांध टूटता जा रहा...

शिमला (देवेंद्र): राज्य सरकार का उपक्रम एच.पी.एम.सी. बागवानों के पैसे पर कुंडली मारे बैठा है। बागवानों को बीते 3 साल से सेब की पेमैंट नहीं दी जा रही है। इस वक्त एच.पी.एम.सी. के पास बागवानों का 414.63 लाख रुपए बकाया पड़ा है। इससे बागवानों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। बागवान अपनी पेमैंट न मिलने से परेशान हैं। बता दें कि एच.पी.एम.सी. मंडी मध्यस्थता योजना (एम.आई.एस.) के तहत बागवानों से हर साल निम्र क्वालिटी का सेब खरीदता है। इसके लिए राज्य मंत्रिमंडल सेब की खरीद को भाव तय करता है। बागवानों से 6 रुपए प्रति किलो से भी कम दाम पर बीते 3 सालों के दौरान सेब खरीदा गया है।  

साल 2015 का 58.88 लाख रुपए, साल 2016 का 37.65 लाख रुपए तथा साल 2017 का 310.10 लाख रुपए बागवानों का एच.पी.एम.सी. पर बकाया है। बागवानों द्वारा बार-बार मांग उठाने के बावजूद उन्हें पेमैंट नहीं दी जा रही है। वर्ष 2018 का सेब सीजन भी पूरे जोरों पर है। इस बार भी एच.पी.एम.सी. द्वारा सेब की खरीद की जा रही है लेकिन पुरानी पेमैंट न मिलने से बागवानों में सरकारी उपक्रम एच.पी.एम.सी. के खिलाफ रोष व्याप्त है। ठियोग निवासी बागवान सुरेश वर्मा ने बताया कि एच.पी.एम.सी. हर साल बागवानों की पेमैंट कई माह तक लटकाए रखता है। उन्होंने सरकार से पेमैंट देने के लिए ऐसा मैकेनिज्म तैयार करने की मांग की है जिसके तहत बागवानों को हर साल सेब बेचते ही पेमैंट का भुगतान किया जा सके।

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