Edited By Ekta, Updated: 10 Jun, 2019 01:38 PM
हिमाचल प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिकारीयों का टोटा कहीं गर्मियों के सीजन में प्रदेश की जनता की सेहत पर भारी न पड़े, इसके लिए न ही प्रदेश सरकार और न ही विभाग गंभीर दिखाई दे रहा। प्रदेशवासियों को शुद्ध और स्वच्छ खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने के लिए हेल्थ...
ऊना (अमित): हिमाचल प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिकारीयों का टोटा कहीं गर्मियों के सीजन में प्रदेश की जनता की सेहत पर भारी न पड़े, इसके लिए न ही प्रदेश सरकार और न ही विभाग गंभीर दिखाई दे रहा। प्रदेशवासियों को शुद्ध और स्वच्छ खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने के लिए हेल्थ सेफ्टी एंड रेगुलेशन विभाग नाकारा साबित हो रहा है। यूं तो प्रदेश में फूड सेफ्टी ऑफिसर के 13 पद सेंशन है, लेकिन लाखों लोगों की सेहत के लिए पदार्थो की गुणवत्ता जांचने के लिए विभाग के पास पिछले लंबे अरसे से कई जिलों में खाद्य सुरक्षा अधिकारीयों के पद खाली चल रहे हैं। इनमें से ही जिला ऊना में बर्ष 2015 से स्थाई खाद्य सुरक्षा अधिकारी नहीं मिल पाया है।
2015 से लेकर 2017 तक अन्य जिला के अधिकारीयों को ऊना का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था लेकिन 2017 के बाद से ऊना में यह पद खाली ही चल रहा है। अब खुद ही अंदाजा लगा सकते है कि ऊना जिला में खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता का क्या हाल होगा। इससे सरकार और विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है कि सरकार और विभाग मिलावटखोरों पर इतनी दया क्यों दिखा रही है। चिकित्सकों की मानें तो गर्मियों के सीजन में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
ऊना के चिकित्सक कमल किशोर की मानें तो गर्मियों में मिलावटी वस्तुएं खाने से उल्टी, दस्त और डिहाइड्रेशन के अलावा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। स्टाफ की कमी को लेकर हेल्थ सेफ्टी एंड रेगुलेशन विभाग के अधिकारी भी खासे परेशान है। विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर जगदीश धीमान की माने तो प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिकारीयों के रिजल्ट आने के बाद पोस्टिंग की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही खाली चल रहे पद भर दिए जाएंगे। खाद्य सुरक्षा अधिकारीयों की कमी के चलते सैंपलिंग ना होने की बात को भी विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर ने कबूल किया।