2Kg का पत्थर कैसे तैर रहा पानी पर, चमत्कार या विज्ञान (Watch Pics)

Edited By Ekta, Updated: 09 Dec, 2018 05:14 PM

how 2kg stone is on floating water

ऊना के अम्ब उपमंडल के गांव अप्पर भंजाल में पानी पर तैरता एक पत्थर क्षेत्र की जनता के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। भले ही लोग इस पत्थर को रामायण से लेकर कई किस्से कहानियों से जोड़ रहे हैं लेकिन विज्ञान ऐसी घटनाओं को चमत्कारिक नहीं मानता है। अप्पर...

दौलतपुर चौक (परमार): ऊना के अम्ब उपमंडल के गांव अप्पर भंजाल में पानी पर तैरता एक पत्थर क्षेत्र की जनता के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। भले ही लोग इस पत्थर को रामायण से लेकर कई किस्से कहानियों से जोड़ रहे हैं लेकिन विज्ञान ऐसी घटनाओं को चमत्कारिक नहीं मानता है। अप्पर भंजाल गांव की गुग्गा बस्ती में वृद्धा शारदा देवी के घर में पानी के टब में रखा करीब 2 किलो वजनी पत्थर तैर रहा है जिसे देखने के लिए लोग पहुंच रहे हैं। अब यह पत्थर आम जनता के लिए जिज्ञासा और कौतूहल का विषय बन गया है। हालांकि उक्त परिवार के पास यह पत्थर करीब एक माह पहले ही आया है लेकिन धीरे-धीरे लोग इस घटना को चमत्कार मान कर इस पत्थर को देखने पहुंच रहे है। 
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इस पत्थर की वीडियो सोशल मीडिया पर खूब हो रही वायरल

परिवार इस पत्थर के प्रचार को लेकर कतई समर्थन नहीं करता हैं लेकिन इसके बावजूद लोग इस पत्थर को देखने के लिए भंजाल पहुंच रहे है। सोशल मीडिया पर पानी में तैर रहे इस पत्थर की वीडियो खूब वायरल हो रही है। अप्पर भंजाल गांव की शारदा देवी बताती है कि उसकी छोटी बहु इंदु अपने बेटे सुजन (12) जोकि 7वीं कक्षा में पढ़ता है उसके साथ भाई दूज के अवसर पर अपने मायके बडलठोर जिला कांगड़ा गई। इंदु का भाई बडलठोर निवासी सुनील कुमार मल्लाह है जो प्रतिदिन कश्ती लेकर व्यास नदी में जाता है। तभी एक दिन सुनील कुमार को ब्यास नदी में तैरता हुआ पत्थर दिखाई दिया तो वह उस तैरते पत्थर को उठा कर घर ले आया। यही पत्थर सुनील कुमार के भांजे सुजन को भा गया और वह उस पत्थर को अपने भंजाल गांव ले आया। 
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आज तक ऐसे किसी पत्थर को पानी पर तैरते नहीं देखा

शारदा देवी के दोनों बेटे जसविन्द्र सिंह और राजेश कुमार पेशे से ट्रक चालक है। जसविन्द्र सिंह कहते हैं कि हमने इस पत्थर को किसी प्रचार के लिए घर में नहीं रखा है बल्कि धार्मिक आस्था के चलते इस की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। शारदा देवी कहती है कि अपने 70 वर्ष की उम्र तक उन्होंने ऐसे किसी पत्थर को पानी पर तैरते नहीं देखा था। सिर्फ रामायण में तैरते पत्थरों के सेतु का ही पता था लेकिन अब इस तैरते हुए पत्थर को देखकर हैरान हूं। एक माह से शारदा देवी का परिवार इस तैरते पत्थर की पूजा अर्चना कर रहा है। पानी के छोटे टब में रख कर बाकायदा इसकी पूजा की जा रही है और उसके उपरांत इस पत्थर को घर में पानी के स्टोरेज टैंक में डाल दिया जाता है। 

यह पत्थर ब्यास नदी में कहां से आया यह जरुर जांच का विषय

वैज्ञानिक सिद्दांत के अनुसार पानी में पत्थर तैरना चमत्कार नहीं है। जिस वस्तु का भार पानी के भार से कम होगा वह वस्तु पानी में डूबेगी नहीं। बताया जाता है कि ऐसे पत्थर अंदरूनी तौर पर छिद्रित होते हैं जिनके प्रकोष्ठों में हवा भरी होती है। भू-विज्ञान के मुताविक ऐसे पत्थरों की आंतरिक सरंचना एकदम ठोस न होकर अंदर से स्पंज जैसी होती है। इन वायु प्रकोष्ठों के कारण ये पत्थर वजन में भारी होने के बाद भी घनत्व के हिसाब से हलके होने के कारण तैर सकते है लेकिन यह पत्थर ब्यास नदी में कहां से आया यह जरुर जांच का विषय है।





 

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