गृहरक्षक विंग की सी.सी. शकुंतला ने कड़ी मेहनत से हासिल किया जीवन का लक्ष्य

Edited By Ekta, Updated: 30 Dec, 2018 06:04 PM

hometown department chamba commander shakuntala devi

समाज में बहुत कम युवतियां होती हैं जो विवाह के पश्चात ससुराल में जाकर अपने जीवन के सपनों को साकार कर पाती हैं लेकिन सपने उनके ही साकार होते हैं जोकि जीवन में चुनौतियों से लड़ना व सुदृढ़ सकंल्प से जीवन का सामना करते हैं। ऐसी ही कुछ जिला चम्बा के गांव...

चंबा (डैनियल): समाज में बहुत कम युवतियां होती हैं जो विवाह के पश्चात ससुराल में जाकर अपने जीवन के सपनों को साकार कर पाती हैं लेकिन सपने उनके ही साकार होते हैं जोकि जीवन में चुनौतियों से लड़ना व सुदृढ़ सकंल्प से जीवन का सामना करते हैं। ऐसी ही कुछ जिला चम्बा के गांव सरोल निवासी शकुंतला देवी की जीवन गाथा है जिन्होंने जीवन की तमाम चुनौतियों और बाधाओं से संघर्ष करने के पश्चात अपने को समाज में मायके में एक बेटी की तरह व ससुराल में एक अच्छी बहू बन कर सिद्ध कर दिखाया है। माता-पिता से मिले संस्कारों व अनुशासन-संघर्ष व धैर्य से गृहरक्षक विभाग चम्बा बतौर कंपनी कमांडर पद पर विराजमान शकुंतला देवी ने अपने सेवाकाल के 33 वर्षों में विभिन्न पदों पर सेवाएं देते हुए पदोन्नति हासिल की है। जीवन के उनके इस संघर्ष को देख गृहरक्षक विभाग चम्बा बतौर कंपनी कमांडर (सी.सी.) शकुंतला देवी से विशेष साक्षात्कार किया गया ताकि उनके जीवन के संघर्ष एवं अनुशासन-संघर्ष व धैर्य की उनकी मिसाल से अन्य महिला-युवतियां भी प्ररेणा ले सकें।

कैसे शुरू हुई जीवन शैली व क्या करते हैं माता-पिता ?

अन्य युवतियों एवं महिलाओं की भांति उनका जन्म गांव सरोल में एक साधारण परिवार में हुआ। उनकी माता हाऊस वाइफ व पिता किसान थे। जोकि खेती का कार्य कर घर का खर्च निर्वाह करने सहित उन्हें तालीम हासिल करने के सदैव प्रेरित करते थे।

प्रारंभिक व उच्च शिक्षा कहां से प्राप्त की?

प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पैतृक गांव सरोल में ही प्रारंभिक स्कूल से लेकर मैट्रिक शिक्षा हासिल की। जबकि शिक्षा ग्रहण करने, खेलकूद व अन्य कई बातों के तहत निर्धारित की गई सीमा व अनुशासन ने उन्हें हर शिखर पर सफलता प्रदान की।

विवाह के बंधन में कब बंध गई?

मैट्रिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद अच्छा रिश्ता मिलने पर परिवार ने उनका विवाह करवा दिया। परिवार से मिले संस्कार से जहां गृहस्थ जीवन को आगे बढ़ाने में सफलता प्राप्त हुई।

विवाह पश्चात मायके व ससुराल में क्या अंतर महसूस किया?

जिस प्रकार मायके में अनुशासन के दायरे में हर कार्य के लिए उन्हें छूट व सहयोग प्राप्त होता था वह ही सहयोग उन्हें विवाह के पश्चात पति व ससुराल पक्ष से प्राप्त हो रहा है जिसके चलते उन्हें कभी भी मायके व ससुराल में कोई अंतर महसूस नहीं हुआ है। विवाह पश्चात ही दसवीं में छोड़ी अपनी पढ़ाई के क्रम को फिर से आरंभ करते हुए प्राइवेट सीनियर सैकेंडरी जमा दो कक्षा को उत्तीर्ण किया। 

विवाह पश्चात गृहरक्षक सेवक इकाई में कैसे जुड़ीं आप?

ससुराल समीप गृहरक्षक विभाग का कार्यालय होने व हर रोज घर के समीप से युवतियों व महिलाओं को खाखी वर्दी पहन निकलता देख उन्होंने होमगार्ड्स में भर्ती होने का प्रस्ताव पति देवराज के समक्ष रखा। जिन्होंने न केवल अपनी सम्मति दी बल्कि सास व ससुर सहित परिवार के अन्य सदस्यों से भी भर्ती देने के लिए स्वीकृति प्रदान करवा दी। परिवार से स्वीकृति मिलने के बाद गृहरक्षक बनने के लिए उनके मन में जागे जोश को और भी हिम्मत मिल गई।

कौन से वर्ष में आप गृहरक्षक जवान के लिए चयनित हुई?

वर्ष 1991 में गृहरक्षक महिला जवानों की भर्ती थी जिसमें वह चयनित हो गई। इसके बाद क्या था उनके सपने धीरे-धीरे साल दर साल गृहरक्षक परीक्षण के संग हकीकत में तबदील होना आरंभ हो गए। वर्ष 2006 तक वह विभाग में गृहरक्षक जवान के पद पर तैनात रहीं।

गृहरक्षक जवान से कब पदोन्नत हुई पहली बार उसके बाद कौन-कौन सी पदोन्नति मिली?

वर्ष 2006 में गृहरक्षक हवलदार की परीक्षा पास करने के पश्चात विभाग में पहला पदोन्नत प्राप्त किया। एच.सी पद पर वर्ष 2009 तक अपनी सेवाएं प्रदान कीं जबकि मेरी उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए विभाग ने एस.पी.सी. सीनियर पलाटून कमांडर पदोन्नत परीक्षा के लिए चयनित किया। इस परीक्षा में भी गत परीक्षाओं की भांति सफलता प्राप्त हुई व वह एस.पी.सी. पद पर विभाग में कार्यरत हो गई। वहीं विभाग पदोन्नत के क्रम में गत वर्ष ही फिर एक सुनहरी अवसर के तहत सी.सी. कंपनी कमांडर पदोन्नत परीक्षा के लिए चयन किया। इस परीक्षा में वह सफल रहते हुए गत वर्ष ही सी.सी. पद पदोन्नत कर चम्बा जिला विभाग ने तैनात किया। 

कैसे कामयाब हो सकती हैं महिलाएं व युवतियां रोजगार के क्षेत्र में ?

गृहरक्षक विभाग सहित कई विभागों संस्थानों, कार्य क्षेत्रों में आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। इसलिए आज आगे आने व बस एक कदम बढ़ाने की आवश्यकता है सफलता अपने आप आपके कदम चूमेगी।

समाज की अन्य युवतियों व महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?

समाज में कई प्रकार के लोग सहित आलोचना करने वालों की संख्या की भरमार हर स्थल पर है लेकिन आलोचनाओं, भावनाओं के बंधन को अनुशासन व लक्ष्य में रहकर तोड़ कर आगे गुजरने वाली महिला ही समाज में हर वह कार्य आज कर सकती है जिस पर पुरुष समाज अपना अधिकार बताता है। जब तक रोजगार प्राप्त नहीं होता तब तक युवतियों व महिलाओं को स्वरोजगार के क्षेत्र में आगे बढऩा चाहिए जिससे युवतियों व महिलाओं में जागरूकता का अभाव खत्म होगा और आगे बढऩे के लिए एक प्ररेणा प्राप्त होगी।

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