HP विधानसभा उपचुनाव का दिलचस्प रहा है इतिहास, 5-5 बार सत्ता पक्ष और 3 बार विरोधी पक्ष के नेता जीते

Edited By Ekta, Updated: 20 Sep, 2019 10:39 AM

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साक्षरता दर में केरल के बाद दूसरे स्थान पर रहने वाले हिमाचल प्रदेश की जनता विधानसभा उपचुनाव में अक्सर सत्तारूढ़ दल का साथ देती आई है। 1994 से वर्ष 2017 तक हुए 13 विधानसभा उपचुनावों में 10 बार सत्तारूढ़ दल चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं।...

शिमला (कुलदीप): साक्षरता दर में केरल के बाद दूसरे स्थान पर रहने वाले हिमाचल प्रदेश की जनता विधानसभा उपचुनाव में अक्सर सत्तारूढ़ दल का साथ देती आई है। 1994 से वर्ष 2017 तक हुए 13 विधानसभा उपचुनावों में 10 बार सत्तारूढ़ दल चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं। इसमें 5 बार कांग्रेस और 5 मर्तबा ही भाजपा सत्ता में रहते हुए विधानसभा उपचुनाव जीतने में सफल रही है। इसके अलावा 3 बार ऐसा भी हुआ है, जब विपक्ष में रहने वाली पार्टी विधानसभा उपचुनाव जीती है।

8 बार विधायक की मृत्यु के कारण करवाए गए उपचुनाव

वर्ष 1994 से 2017 तक 8 मौके ऐसे आए जब विधायक की मृत्यु के कारण उपचुनाव करवाने पड़े। इनमें वर्ष 1994 में जब भाजपा के दिग्गज नेता जगदेव चंद की मृत्यु हुई तो उस समय हमीरपुर से कांग्रेस के आत्मा राम चुनाव जीते। इसके बाद वर्ष 1995 में देवराज नेगी के निधन के बाद किन्नौर में हुए विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के जगत सिंह चुनाव जीते तथा मान चंद राणा के निधन के कारण सुलह से कांग्रेस के कंवर दुर्गा चंद चुनाव जीते। वर्ष 1998 में वीरेंद्र कुमार के निधन के कारण परागपुर में हुए उपचुनाव में भाजपा की निर्मला देवी चुनाव जीतीं। वर्ष 1998 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता संत राम के निधन के कारण हुए उपचुनाव में भाजपा नेता उपचुनाव जीते। वर्ष 2011 में विधायक हरिनारायण सिंह सैणी के निधन के कारण हुए उपचुनाव में कांग्रेस के लखविंद्र सिंह राणा और डा. प्रेम सिंह के निधन के कारण हुए विधानसभा उपचुनाव में श्री रेणुका जी से भाजपा के हृदय राम चुनाव जीते हैं। इसके अलावा वरिष्ठ भाजपा नेता ईश्वर दास धीमान का जब वर्ष 2017 में निधन हुआ तो उस समय भाजपा प्रत्याशी डा. नवीन धीमान भोरंज से विधानसभा उपचुनाव जीते।

वर्ष 1994 से 2017 तक 13 बार हुए उपचुनाव 

वर्ष 1994 से 2017 तक 13 बार विधानसभा उपचुनाव हुए। इसमें वर्ष 1994 में आत्मा राम, वर्ष 1995 में जगत सिंह और कंवर दुर्गा चंद, वर्ष 1996 में आदर्श कुमार और रणजीत सिंह बक्शी, वर्ष 1998 में निर्मला देवी और दूलो राम, वर्ष 2000 में डा. राजीव ङ्क्षबदल, वर्ष 2004 में हरबंस सिंह राणा, वर्ष 2009 में खुशीराम बालनाटाह और सुजान सिंह पठानिया, वर्ष 2011 में लखविंद्र सिंह राणा और हृदय राम, वर्ष 2014 में नरेंद्र ठाकुर तथा वर्ष 2017 में डा. नवीन धीमान विधानसभा उपचुनाव जीते।

लोकसभा के लिए 3 बार हुए उपचुनाव

वर्ष 1994 से 2017 के बीच 3 बार लोकसभा के उपचुनाव हुए। इनमें से 1-1 बार भाजपा और कांग्रेस सत्ता में रहते हुए चुनाव जीतीं, जबकि 1 बार कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए भाजपा लोकसभा उपचुनाव जीती। वर्ष 2007 में जब भाजपा सांसद सुरेश चंदेल को आरोपों के चलते सदस्यता गंवानी पड़ी तो प्रदेश में कांग्रेस के सत्तारूढ़ होते हुए प्रो. प्रेम कुमार धूमल लोकसभा उपचुनाव जीते। इसके बाद प्रो. प्रेम कुमार धूमल के लोकसभा की सदस्यता से त्याग पत्र देने के कारण वर्ष 2008 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र अनुराग ठाकुर चुनाव जीते। उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। वर्ष 2013 में जब वीरभद्र सिंह ने मंडी लोकसभा क्षेत्र से अपना त्याग पत्र दिया तो उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह उपचुनाव जीतीं।

लोकसभा के लिए 3 बार हुए उपचुनाव

वर्ष 1994 से 2017 के बीच 3 बार लोकसभा के उपचुनाव हुए। इनमें से 1-1 बार भाजपा और कांग्रेस सत्ता में रहते हुए चुनाव जीतीं, जबकि 1 बार कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए भाजपा लोकसभा उपचुनाव जीती। वर्ष 2007 में जब भाजपा सांसद सुरेश चंदेल को आरोपों के चलते सदस्यता गंवानी पड़ी तो प्रदेश में कांग्रेस के सत्तारूढ़ होते हुए प्रो. प्रेम कुमार धूमल लोकसभा उपचुनाव जीते। इसके बाद प्रो. प्रेम कुमार धूमल के लोकसभा की सदस्यता से त्याग पत्र देने के कारण वर्ष 2008 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र अनुराग ठाकुर चुनाव जीते। उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। वर्ष 2013 में जब वीरभद्र सिंह ने मंडी लोकसभा क्षेत्र से अपना त्याग पत्र दिया तो उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह उपचुनाव जीतीं। मौजूदा समय में प्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा के पक्ष में 2 चीजें प्रभावित कर सकती हैं। पहला यह कि केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है तथा दूसरा यह कि पहले इन विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के विधायक विजयी होने के बाद लोकसभा चुनाव भी जीते हैं।

कांग्रेस के पक्ष में बातें

कांग्रेस के पक्ष में एक बात यह है कि उसके पास दोनों विधानसभा क्षेत्रों में अनुभवी नेता हैं। इसमें पच्छाद से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर और धर्मशाला से पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा को फिर टिकट मिल सकता है। हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां पराजय झेलनी पड़ी थी।

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