Edited By kirti, Updated: 19 Dec, 2019 04:50 PM
देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली पुलिस के जवानों के द्वारा जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर लाठीचार्ज गोलीबारी बब्बर परिवार को लेकर माक्र्सवादी ने किया धरना प्रदर्शन और निष्पक्ष जांच की मांग की। केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन बिल के कारण देश में...
शिमला/कुल्लू(दिलीप): देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली पुलिस के जवानों के द्वारा जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर लाठीचार्ज गोलीबारी बब्बर परिवार को लेकर माक्र्सवादी ने किया धरना प्रदर्शन और निष्पक्ष जांच की मांग की। केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन बिल के कारण देश में बढ़ रहे संप्रदायिक दंगे अन्य घटनाओं की ओर इस देश में जगह-जगह पर छात्र विरोध कर रहे हैं। जिसके चलते विशेष समुदाय के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं इसका विरोध करने पर सड़कों पर उतर रहे हैं। बुद्धिजीवी हिंदू व अन्य धर्मों के नागरिक भी उनके समर्थन में इस बिल का विरोध कर रहे हैं।
2 दिनों से पूर्व दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने जब इसके विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना चाहा तो दिल्ली पुलिस ने केंद्र सरकार के इशारों पर बड़ी बेशर्मी के साथ उनपर लाठीचार्ज गोलीबारी व्यवहार किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने बिना किसी अनुमति के जामिया विश्वविद्यालय के परिसर में पुस्तकालय के अंदर घुसकर निर्दोष छात्रों पर हमले किए। जिसमें सैकड़ों छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं। होतम सिंह सौंखला ने कहा प्रदेश में जितनी भी पार्टियां हैं उनका पूरे प्रदेश में प्रदर्शन हो रहा है। जैसा कि आप जानते हैं कि संसद के अंदर नागरिकता संशोधन एक्ट बनाया गया है और दूसरा एनआरसी की बात कर रहे हैं, इसका विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एनआरसी रजिस्टर बात है जो कि 11 साल पहले असम में शुरू हुई है और अभी इसकी रिपोर्ट आई है उसमें 19 लाख 87 हजार 725 लोगों के नाम दर्ज है। उसमें लगभग 13 लाख हिंदू हैं उसके अलावा मुस्लिम और आदिवासी लोग हैं और देश की सरकार ने एक्ट बनाया है और इस एनआरसी को पूरे देश में लागू करना चाहते हैं और असम में कहा गया था कि 1971 पहले के डॉक्यूमेंट चाहे आपके पास बैंक की कॉपी हो, बैंक खाता हो, बीमा की पॉलिसी हो, पासपोर्ट आदि दस्तावेज की बात की गई है लेकिन अब एनआरसी पूरे देश में लागू कर रही है और यह संविधान की सीधे तौर पर उलंघना है। जिसमें अनुच्छेद 14,15 और 21 है इसमें कहा गया है कि धर्म के नाम पर आप किसी भी रूप में इस देश के अंदर नागरिकता नहीं दे सकते और सरकार ने कहा है।
अफगानिस्तान पाकिस्तान और बांग्लादेश से जो प्रताड़ित फारसी, जैन, बौद्ध, सिख व हिंदू आएगा उनको नागरिकता देंगे। यह सीधे तौर पर मुस्लिम के ऊपर हमला है और दूसरा संविधान के ऊपर हमला है इससे देश की एकता को खतरा है और देश के संविधान को भी खतरा है। मार्क्सवादी इसका विरोध कर रही है। देश के अंदर ज्यादा असर उन मजदूरों को है, जो एक देश से दूसरे देश को जाते है उसके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है। इससे देश की बहुत से नागरिक रिक्ता छिन जाएगी और मोदी सरकार हिंदू मुस्लिम देश की जनता एकता और संविधान उसका उल्लंघन कर रही है। जिसका इस सीधे तौर पर मार्क्सवादी विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि जो घुसपैठिया है वह इस देश में नहीं आने चाहिए। लेकिन 2014 से मोदी सरकार में तो किस प्रकार का इंतजाम इन घुसपैठियों के लिए किया गया है। लेकिन इस कानून की आड़ में देश की एकता खंडित किया जा रहा है।
दूसरा जो देश के मौजूदा जो जिंदा रहने का अधिकार है सबका साथ सबका विकास का जिक्र किया गया था, शिक्षा का किया गया था, मेहगाई कम करने का किया था, भ्रष्टाचार, काला धन का किया था। लेकिन आज जो आर्थिक स्थिति काफी नीचे की ओर जा रही है। इन तमाम चीजों को दबाने के लिए समय-समय पर सुनियोजित तरीके से प्रधानमंत्री ऐसे इशु को लाती है पहले जम्मू कश्मीर का 370 , दूसरा अयोध्या मंदिर और अब नागरिकता संशोधन एक्ट को लाया गया। और जिसके नाम पर देश के अंदर बवाल हो गया है। उन्होंने कहा कि हम तमाम वामपंथी पार्टी सीपीआई एम जिला कमेटी कुल्लू भी यह जो जामिया के अंदर बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी के अंदर छात्रों के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार है वह निंदनीय है यह कार्य कौन कर रहा है जिसकी जिम्मेदारी सरकार की बनती है हम पूरे जोर-शोर से इसका विरोध कर रहे हैं जब तक एनआरसी बंद नहीं होती तब तक हम इसका विरोध करते रहेंगे।
शिमला
हिमाचल प्रदेश के शिमला में NRC और CAA को लेकर जनवादी महिला का मौन प्रदर्शन देखने को मिला है। नागरिकता संशोधन कानून पर पूरे देश में सियासी बवाल मचा हुआ है और कई जगह पर प्रदर्शन भी हो रहे हैं। बता दें कि हिमाचल पीपल फार्म ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है।