Edited By Updated: 10 Feb, 2017 12:07 AM
आई.जी.एम.सी. में आपातकालीन सुविधा चरमरा गई है।
शिमला: आई.जी.एम.सी. में आपातकालीन सुविधा चरमरा गई है। एमरजैंसी वार्डों में दिनभर लोगों का जमावड़ा लग रहा है और इससे यहां उपचार के लिए पहुंचे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। बीते 18 जुलाई को आई.जी.एम.सी. प्रशासन ने यहां विशेष सुविधाएं शुरू की थीं, जिसमें मरीजों के साथ आए तीमारदारों के ‘वैध पास’ पर ही उन्हें आपातकालीन वार्ड में प्रवेश मिलता था लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह व्यवस्था पूरी तरह से लडख़ड़ा गई है। बता दें कि प्रशासन ने दावा किया था कि भीड़ के कारण मरीजों को संक्रमण का खतरा भी बना रहता है, वहीं अस्पताल में तीमारदारों की आड़ में कुछ संदिग्ध लोग भी घुस जाते हैं जो मरीजों के सामान और पैसों पर आए दिन हाथ साफ कर रहे हैं।
रोजाना बनती हैं 3000 से 3500 पर्चियां
आई.जी.एम.सी. कर्मचारी एसोसिएशन के मुताबिक अस्पताल में मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। रोजाना 3000 से 3500 तक पर्चियां बनती हैं जबकि ओ.पी.डी. में उपचार देने के बाद बहुत से मरीजों को वार्ड में दाखिल होने की सलाह चिकित्सक देते हैं। एमरजैंसी में चैकिंग की व्यवस्था डगमगाने से कई आऊटसाइडर्स एमरजैंसी वार्डों में प्रवेश कर रहे हैं जिस कारण बेहतर उपचार सेवाएं देने में परेशानी होती है।
पास न मिलने पर मरीजों से नहीं वसूला जा रहा चार्ज
प्रशासन ने दावा किया था कि अगर अस्पताल में किसी तीमारदार का गेट पास गुम हो जाता है तो प्रबंधन इसके लिए 20 रुपए का चार्ज भी वसूलेगा लेकिन ऐसा कुछ भी सामने नहीं आ रहा है। यहां तक कि प्रशासन ने यह भी दावा किया था कि अगर कोई मरीज या तीमारदार बिना पास के आपातकालीन वार्ड में अंदर पाया गया तो उससे भी फाइन वसूला जाएगा। अब प्रशासन के ये सब दावे खोखले नजर आ रहे हैं।
नहीं हो पा रहे सी.एच.जी. टैस्ट
आई.जी.एम.सी. के टैस्ट रूम में सी.एच.जी. टैस्ट भी नहीं हो रहे हैं जिसके कारण मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में इससे पहले 2 महीने तक थायराइड व एच.पी.एस.ए.जी. टैस्ट नहीं हो रहे थे लेकिन अब सी.एच.जी. टैस्ट करवाने के लिए मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। इन दिनों सभी मरीज निजी लैब में टैस्ट करवा रहे हैं। एच.पी.एस.ए.जी. टैस्ट ब्लड टैस्ट होता है जोकि प्रत्येक मरीज का करवाया जाता है।
निजी लैबों में दोगुने पैसों पर टैस्ट करवाने को मजबूर
अस्पताल में प्रदेशभर से सैंकड़ों मरीज उपचाराधीन होते हैं लेकिन प्रशासन मरीजों को टैस्ट करवाने की सुविधा प्रदान करने में नाकाम रहा है। मरीजों को अपना टैस्ट करवाने के लिए निजी लैबों में दोगुने पैसे देने पड़ रहे हैं। यह अस्पताल में नि:शुल्क होता है जबकि निजी लैब में 150 से 200 रुपए में हो रहा है, ऐसे में ज्यादातर गरीब लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
क्या कहतें है आई.जी.एम.सी. के प्रधानाचार्य
आई.जी.एम.सी. के प्रधानचार्य डा. अशोक शर्मा ने बताया कि वैसे अस्पताल में सारे टैस्ट हो रहे हैं, वहीं आपातकालीन वार्ड में सभी मरीजों को सुरक्षा गार्ड द्वारा पूछकर ही भेजा जाता है। अगर कोई टैस्ट नहीं हो रहा है और आपातकालीन वार्ड में लोगों को बिना पास के भेजा जा रहा है तो कार्रवाई की जाएगी।