Edited By Vijay, Updated: 01 Dec, 2019 09:19 PM
नई कार्य योजनाओं के साथ एचआईवी से निपटने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। वर्ष 2030 तक एचआईवी का अंत करने तथा वर्ष 2020 तक 90 प्रतिशत एचआईवी से ग्रसित व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें उपचार सुविधा से जोड़ने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार...
शिमला (योगराज): नई कार्य योजनाओं के साथ एचआईवी से निपटने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। वर्ष 2030 तक एचआईवी का अंत करने तथा वर्ष 2020 तक 90 प्रतिशत एचआईवी से ग्रसित व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें उपचार सुविधा से जोड़ने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार ने आज पीटरहॉफ में राज्य स्तरीय एड्स दिवस के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यह विचार व्यक्त किए।
इससे पहले उन्होंने एड्स के प्रति जागरूकता प्रदान करती रैली को पीटरहॉफ से रवाना किया। उन्होंने बताया कि पूरे शिमला नगर में एड्स जागरूकता एवं जानकारी का संदेश इस रैली द्वारा दिया जाएगा। रैली में शिमला नगर के विभिन्न स्कूल, कॉलेज व अन्य संस्थाओं के लगभग 1200 छात्र-छात्राएं सम्मिलित थे। उन्होंने स्वेच्छिक संस्था प्रार्थना व एचडीएफसी बैंक के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित रक्तदान शिविर का भी उद्घाटन किया तथा राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन व अवलोकन किया।
उन्होंने कहा कि एचआईवी मुक्त हिमाचल वर्ष 2030 तक बनाने के लिए जागरूकता व जांच उपचार के लिए और अधिक सक्रिय कार्यक्रम चलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 45 एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में भी एचआईवी जांच सुविधा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 20 यौण रोग उपचार केंद्र कार्य कर रहे हैं, जिसमें रंगीन किटों के माध्यम से रोगियों का उपचार किया जा रहा है। 15 गैर-सरकारी संस्थाओं के माध्यम के 10 जिलों में उच्च जोखिम पूर्ण समूह के लिए लक्षित हस्तक्षेप परियोजनाएं चलाई जा रही है। एड्स के साथ जी रहे व्यक्ति को एंटी रेट्रोवायरल दवाइयां एंटी रेट्रोवायरल केंद्रों द्वारा दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 14 ब्लड बैंकों व 3 रक्त पृथ्वीकरण इकाइयों द्वारा प्रदेश को सुरक्षित रक्त उपलब्ध करवाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि किसी भी विचार को अभियान में बदलने के लिए जन सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने युवाओं में बढ़ती हुई नशाखोरी पर चिंता जताते हुए इसकी रोकथाम के लिए सभी के प्रयासों की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है और इस देश में नशे जैसी वृत्ति की जड़ों को समूल नष्ट करने की आवश्यकता है ताकि युवाओं की साहस और शक्ति को राष्ट्र के रचनात्मक कार्यों की ओर मोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि हमें एड्स से ग्रसित लोगों के प्रति प्रेम भाव व सहयोग की भावना अपनानी चाहिए।
कार्यक्रम में निदेशक स्वास्थय डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने स्वागत संबोधन में विभागीय आधार पर एड्स नियंत्रण के संबंध में किए जा रहे प्रयासों से अवगत करवाया। इस अवसर पर एड्स जागरूकता से संबंधित प्रश्न भी छात्र-छात्राओं से पूछे गए। उन्होंने बताया कि आज के कार्यक्रम में शिमला नगर के राजकीय कन्या महाविद्यालय नर्सिंग कॉलेज, राजकीय महाविद्यालय संजौली, फाइन आर्ट कॉलेज, सैंट बिड्स कॉलेज, संस्कृत कॉलेज, आईटीआई शिमला, कोटशेरा कॉलेेज के छात्र-छात्राओं ने एड्स के बचाव का संदेश प्रदान करते हुए भाषण, नुक्कड़ नाटक, समूह गीत, स्किट व अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक डॉ. आरके दरोच ने मुख्यातिथि का पधारने पर आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी की धन्यवाद किया। कार्यक्रम में आईजीएमसी प्रधानाचार्य डॉ. मुकुंद लाल, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज, मानसिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पाठक के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।