प्राकृतिक खेती में हिमाचल के किसानों ने कायम की मिसाल : आचार्य देवव्रत

Edited By Vijay, Updated: 28 Dec, 2019 07:37 PM

himachal farmers set an example in natural farming

प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के तहत आतमा परियोजना कुल्लू ने शनिवार को देवसदन में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर राज्य स्तरीय सैमीनार का आयोजन किया। इस सैमीनार की अध्यक्षता गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने करनी थी...

कुल्लू (मनमिंदर): प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के तहत आतमा परियोजना कुल्लू ने शनिवार को देवसदन में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती पर राज्य स्तरीय सैमीनार का आयोजन किया। इस सैमीनार की अध्यक्षता गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने करनी थी लेकिन घने कोहरे के कारण चंडीगढ़ से फ्लाइट न होने के कारण वह कुल्लू नहीं पहुंच पाए। इसके बावजूद देवव्रत ने मोबाइल फोन के माध्यम से किसानों-बागवानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में हिमाचल प्रदेश के किसानों ने एक मिसाल कायम की है और अब देश के अन्य राज्य भी इसके मॉडल का अनुसरण करने का प्रयास कर रहे हैं।

गुजरात में हिमाचल के मॉडल को लागू करने का किया प्रयास

राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने गुजरात में हिमाचल प्रदेश के मॉडल को लागू करने का प्रयास किया है। गुजरात सरकार ने इस वर्ष लगभग एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडऩे का लक्ष्य रखा है। कार्यकारी निदेशक प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना डॉ. राजेश चंदेल ने बताया कि 31 मार्च तक 50 हजार किसानों को इसमें जोडऩे का लक्ष्य रखा था, जिसमें से अभी तक 46,286 किसानों ने अपने खेतों में प्राकृतिक खेती के मॉडल खड़े कर दिए हैं। उन्होने बताया कि प्रदेश मे इस अभियान को आशातीत सफलता मिल रही है।

2022 तक किसानों की आया दोगुनी करने का रखा लक्ष्य

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यक्रम अधिकारी राजेश चंदेल ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया और सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को इसका माध्यम बनाया गया जो प्रदेश सरकार के मार्गदर्शन में चल रहा है और देश का नीति आयोग और कृषि मंत्रालय हिमाचल प्रदेश के मॉडल पर काम कर रहा है। गुजरात ने भी हिमाचल मॉडल को अपनाया है।

प्राकृतिक खेती से किसानों को मिल रहा बहुत फायदा

बंजार से आए किसान दौलत भारती ने बताया वह अब मिश्रित खेती कर रहे हैं और प्राकृतिक खेती करने के चलते उन्हें बहुत फायदा मिल रहा है। एक साथ ज्यादा सब्जियां लगाने के चलते मिट्टी की उर्वरकता बढ़ रही है और लोगों की खुद की जरूरत भी पूरी हो रही है,जिसके चलते अब लोगों बाजारों पर निर्भर नहीं हैं। बगीचे में भी प्राकृतिक खेती करने के चलते फल और सब्जियां भी ज्यादा दिनों तक चल रही हैं। वहीं किसान विजय ने बताया कि जब से प्राकृतिक खेती शुरू की है तब से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ रही है और अब बिजाई करते समय भी मिट्टी बहुत नरम हो रही है।

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