हिमाचल कांग्रेस को मिलेगा नया सरदार, संगठन की ओवरहालिंग की भी तैयारी

Edited By Ekta, Updated: 20 Jun, 2018 09:08 AM

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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को रजनी पाटिल के रूप में नया प्रभारी मिलने के बाद अब प्रदेश कांग्रेस को नया अध्यक्ष भी जल्दी मिल सकता है। कांग्रेस हाईकमान से जुड़े उच्च स्तरीय सूत्रों के मुताबिक अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश में संगठन को...

शिमला/नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को रजनी पाटिल के रूप में नया प्रभारी मिलने के बाद अब प्रदेश कांग्रेस को नया अध्यक्ष भी जल्दी मिल सकता है। कांग्रेस हाईकमान से जुड़े उच्च स्तरीय सूत्रों के मुताबिक अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश में संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए इसकी पूरी तरह ओवरहालिंग करने का हाईकमान मन बना चुका है। पार्टी की नई प्रभारी ने अपने हिमाचल दौरे के दौरान पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से जो फीडबैक जुटाई है, उसी फीडबैक के आधार पर आलाकमान प्रदेश में संगठन में बदलाव की पटकथा को अंतिम रूप देने में जुट गया है।


सूत्रों के मुताबिक पार्टी हाईकमान प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पार्टी अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच लगातार जारी शीत युद्ध को अब विराम देने के मूड में है। पार्टी हाईकमान को प्रदेश से जो फीडबैक गई है, उसमें साफ बताया गया है कि सरकार व संगठन की दूरियों के चलते प्रदेश में वीरभद्र सरकार का मिशन रिपीट साकार नहीं हो पाया और कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा। पार्टी आलाकमान को यह भी फीडबैक गई है कि भाजपा के मुख्यमंत्री के घोषित चेहरे प्रेम कुमार धूमल व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता इस बार चुनाव में हारे हैं और अगर कांग्रेस संगठन ने सूबे में कमजोर प्रत्याशी उतारने की अनुशंसा नहीं की होती तो करीब एक दर्जन और सीटें कांग्रेस की झोली में आतीं। 


पाटिल के दौरे के दौरान कई विधायकों व पूर्व मंत्रियों ने उनसे मुलाकातों के दौरान प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष की कार्यप्रणाली व कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे व वरिष्ठतम कांग्रेस नेता वीरभद्र ने तो रजनी पाटिल के समक्ष यह साफ कर दिया था कि लोकसभा की चारों सीटें जीतने के लिए पहले सुक्खू को हटाना जरूरी है। आलाकमान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सुक्खू वैसे भी अपने तय कार्यकाल से अधिक साढ़े 5 साल की पारी बतौर अध्यक्ष खेल चुके हैं और प्रदेश में नए अध्यक्ष को लेकर आलाकमान में गंभीरता से मंथन चल रहा है। उनको हमीरपुर संसदीय सीट पर भाजपा के अनुराग ठाकुर के मुकाबले चुनावी दंगल में उतार सकता है। पिछले लंबे समय से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है और इस बार पार्टी नेतृत्व हर सूरत में यह सीट जीतने के लिए यहां दमदार प्रत्याशी उतारना चाहता है। 


राजपूत बहुल इस सीट पर भाजपा ने हमेशा राजपूत उम्मीदवार पर ही दाव खेला है। चाहे धूमल रहे हों चाहे सुरेश चंदेल या अनुराग भाजपा ने राजपूत वोट बैंक को देखते हुए राजपूत प्रत्याशी ही दंगल में उतारा है। सुक्खू भी राजपूत वर्ग से हैं इसलिए आलाकमान उन्हें इस बार यहां से चुनाव लड़वाने के मूड में है। प्रदेश के कुछ कांग्रेस विधायकों व कांग्रेस नेताओं ने विपक्ष के नेता व हरोली विधानसभा क्षेत्र से लगातार चौथी बार चुनाव जीते मुकेश अग्निहोत्री के भी इस सीट पर सबसे सशक्त प्रत्याशी होने की बात कांग्रेस नेतृत्व तक पहुंचाई है। धूमल को हराकर प्रदेश की राजनीति में जबरदस्त उलटफेर करने वाले राजेंद्र राणा व उनके परिवार का नाम भी आलाकमान के गलियारों में गूंज रहा है। उनके बेटे अभिषेक राणा की इस संसदीय क्षेत्र में सक्रियता से भी आलाकमान बेखबर नहीं है। 


लोकसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हिमाचल दौरे पर भी पार्टी आलाकमान की गहरी नजर है और हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर भी पिछले कुछ समय से सक्रिय दिख रहे हैं। प्रदेश की पूर्व सह प्रभारी रंजीता रंजन ने आलाकमान को जो रिपोर्ट दी थी, उसमें यह साफ इंगित किया गया था कि प्रदेश कांग्रेस संगठन में अब व्यापक बदलाव की जरूरत है। चर्चा है कि शाह के हिमाचल दौरे के बाद प्रदेश में कांग्रेस में नई जान फूंकने और प्रदेश की चारों सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार करने के लिए संगठन की ओवरहालिंग होगी और पार्टी को आने वाले दिनों में ऐसा नया सरदार मिल सकता है जो सबको साथ लेकर चले।


वीरभद्र सिंह ने ऐसे साधे संगठन पर निशाने
पिछले दिनों हमीरपुर, कांगड़ा और बिलासपुर दौरे पर वीरभद्र सिंह ने संगठन पर लगातार निशाने साधे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि संगठन में ऊपर से नीचे तक चापलूस हैं। उनके कार्यक्रमों से दूरी रखने पर वीरभद्र सिंह ने कहा कि ऐसे ऐरे-गैरे नत्थू खैरों से कोई फर्क नहीं। ज्वालामुखी में कांग्रेस की गुटबाजी पर वीरभद्र ने कहा कि सब इकट्ठे तो हैं पर फैवीकोल लगाने की जरूरत है। यही नहीं, उन्होंने कांग्रेस प्रभारी को भी शिमला में संगठन में बदलाव करने की बात कही थी।


हाईकमान ने ही बनाया, वही करेगा फेरबदल
संगठन में किसी भी तरह का फेरबदल करने का क्षेत्राधिकारी पार्टी हाईकमान का ही है। सुक्खू को पार्टी हाईकमान ने ही प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है और उनको इस पद से हटाना या न हटाने का क्षेत्राधिकारी भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को ही है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में संगठन मजबूत हुआ है और कई युवा चेहरे संगठन में आगे आए हैं। वीरभद्र और सुक्खू चुनाव लड़ेैंगें या नहीं? इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। पार्टी नेताओं में मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं। 


यह बताया जा रहा कारण
कांग्रेस आलाकमान तक इस बाबत रिपोर्ट भी पहुंची है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के कांगड़ा व हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के हाल ही के दौरे के दौरान संगठन ने दूरी बनाए रखी और मीडिया में भी इसकी चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने इस बात को बहुत गंभीरता से लिया है। वीरभद्र की कार्यकर्ताओं व जनता में गहरी पैठ देखते हुए आलाकमान उन्हें नजरअंदाज करने का जोखिम नहीं उठा सकता और आलाकमान इस बात को भलीभांति समझता है कि प्रदेश में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए वीरभद्र सिंह से बड़ा कोई स्टार कैंपेनर नहीं हो सकता। 

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