स्कूल से अनुपस्थित शिक्षकों के मामले में सरकार की कार्रवाई से HC संतुष्ट, अपील पर सुनवाई बंद

Edited By Vijay, Updated: 30 Aug, 2019 11:31 PM

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प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और देश के नागरिकों को अकुशलता, अनुशासनहीनता, मूलभूत सुविधाओं व स्टाफ के अभाव के चलते इस बहुमूल्य अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए यह जरूरी है कि सरकारी...

शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और देश के नागरिकों को अकुशलता, अनुशासनहीनता, मूलभूत सुविधाओं व स्टाफ  के अभाव के चलते इस बहुमूल्य अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए यह जरूरी है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में काम के प्रति ईमानदारी, समर्पण व निष्ठा हो। उनकी ऐसी वास्तविक उत्कृष्टता के कारण ही उन्हें पहले सही मायने में गुरु नाम से सम्बोधित किया जाता था। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकारी स्कूलों से शिक्षकों के बिना अनुमति नदारद रहने के मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही। पिछली सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग को यह स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं कि क्या स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति पर नजर रखने के लिए कोई कारगर प्रणाली तैयार की गई है।

वाणिज्य विषय की प्रवक्ता ने दी थी आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती

मामले के अनुसार प्रार्थी बबीता ठाकुर वाणिज्य विषय की प्रवक्ता के तौर पर वर्ष 2004 में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल पाहल जिला शिमला में तैनात थी। 18 नवम्बर, 2004 को उपनिदेशक शिक्षा ने अचानक स्कूल का निरीक्षण किया, जिसमें 20 में से 13 शिक्षक गायब पाए गए। प्रार्थी ने कारण बताओ नोटिस के जवाब में बताया कि उसकी घर पर नौकरानी न आने के कारण उसे अपने 2 वर्षीय बच्चे की देखरेख के लिए उस दिन घर पर रहना पड़ा। इस जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं हुआ और प्रार्थी के अनुपस्थिति के उक्त कार्यकाल को उसकी सेवा से हटाने के आदेश जारी कर दिए। प्रार्थी ने इन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

सिंगल जज ने खारिज की प्राथी की याचिका

सिंगल जज ने प्रार्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार है। नौकरानी का छुट्टी पर जाना स्कूल से अनुपस्थित रहने का कोई उचित कारण नहीं है। डिवीजन बैंच ने भी प्रार्थी की अपील को खारिज करते हुए जनहित में शिक्षा विभाग से शिक्षकों की छुट्टियों से जुड़ी जरूरी प्रक्रियाओं पर स्पष्टीकरण मांगा था।

5 शिक्षकों के विरुद्ध की कार्रवाई, 4 के खिलाफ जांच लंबित

न्यायालय को शपथ पत्र के माध्यम से यह बताया गया कि स्कूल से नदारद रहने वाले 5 शिक्षकों के खिलाफ  विभागीय कार्रवाई अमल में लाई गई है जबकि 4 के खिलाफ  जांच अभी लंबित है। एक को विभागीय तौर पर दंडित भी किया गया है। न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से संतुष्ट होते हुए अपील पर सुनवाई बंद कर दी।

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