ट्रामा सैंटर स्थापित न करने पर Highcourt गंभीर, स्वास्थ्य सचिव को जारी किए ये आदेश

Edited By Vijay, Updated: 27 Feb, 2019 11:50 PM

highcourt serious on not installing the trauma center

प्रदेश में ट्रामा मिशन के तहत बनाए जाने वाले ट्रामा सैंटर को शीघ्र शुरू न किए जाने को प्रदेश हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। उल्लेखनीय है कि सरकारी अस्पतालों में ट्रामा चिकित्सा उपलब्ध करवाने बाबत ट्रामा मिशन के तहत भारतवर्ष में केवल 19 राज्यों में...

शिमला: प्रदेश में ट्रामा मिशन के तहत बनाए जाने वाले ट्रामा सैंटर को शीघ्र शुरू न किए जाने को प्रदेश हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। उल्लेखनीय है कि सरकारी अस्पतालों में ट्रामा चिकित्सा उपलब्ध करवाने बाबत ट्रामा मिशन के तहत भारतवर्ष में केवल 19 राज्यों में ही इस तरह की सुविधा उपलब्ध करवाए जाने की सिफारिश की गई है जबकि प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा फंड जारी किए जाने के बावजूद ट्रामा सैंटर शुरू नहीं किए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव को आदेश दिए कि हिमाचल में 9 ट्रामा सैंटर बनाए जाने बारे प्रपोजल कोर्ट के समक्ष पेश करें और साथ ही कोर्ट को बताएं कि ये ट्रामा सैंटर कहां-कहां स्थापित किए जाने हैं।

आई.जी.एम.सी. शिमला के नए ब्लॉक का शीघ्र हो निर्माण

अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) ने 25 फरवरी को दायर शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को बताया कि आई.जी.एम.सी. शिमला में नए ब्लॉक का निर्माण कार्य अगले माह शुरू किया जाना है। ट्रामा सैंटर को इस नए ब्लॉक के कुछ भाग में स्थापित किया जाना है, इसलिए ट्रामा सैंटर को शुरू नहीं किया गया है। इसके निर्माण के लिए केंद्र सरकार से 14 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। कोर्ट ने आई.जी.एम.सी. शिमला के नए ब्लॉक के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने और साथ ही मशीनें खरीदने के आदेश दिए हैं। डा. राजेंद्र प्रसाद मैडीकल कॉलेज टांडा में ट्रामा सैंटर के बारे में न्यायालय को बताया गया कि ट्रामा सैंटर लेवल 2 के लिए 1.35 करोड़ रुपए निर्माण कार्य और 3.40 करोड़ रुपए मशीनों के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृत किए हैं और इस ट्रामा सैंटर की रिपोर्ट स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजी गई है।

एक महीने के भीतर निर्णय ले केंद्र सरकार

न्यायालय को यह भी बताया गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस ट्रामा सैंटर को लेवल 2 से लेवल 1 करवाए जाने बारे घोषणा की थी और इस बारे भी मामला केंद्र सरकार के पास लंबित है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए कि वह एक महीने के भीतर इस पर अंतिम निर्णय ले और इस बारे राज्य सरकार को सूचित करे। कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2016 में मंडी के लिए ट्रामा सैंटर लेवल 3 स्वीकृत किया गया था लेकिन वर्ष 2017 में इसे नेरचौक स्थानांतरित किया गया और अब 20 अक्तूबर 2018 से इस ट्रामा सैंटर को नेरचौक में शुरू कर दिया गया है। न्यायालय को बताया गया कि इस ट्रामा सैंटर के लिए लगभग 2 करोड़ की मशीनें खरीदी गईं।

चम्बा में ट्रामा सैंटर शुरू करने को खरीदीं 2.38 करोड़ रुपए की मशीनें

इसी तरह चम्बा में भी ट्रामा सैंटर शुरू किए जाने के लिए 2.38 करोड़ रुपए की मशीनें खरीदी गई हैं। हमीरपुर में ट्रामा सैंटर शुरू न किए जाने पर खेद जताया है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि अभी तक इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है क्योंकि वहां पर पुरानी बिल्डिंग है। हाईकोर्ट ने डी.सी. हमीरपुर को आदेश दिए थे कि वह पुरानी बिल्डिंग को तुरंत प्रभाव से गिरा दें और शपथ पत्र के माध्यम से अदालत के समक्ष अनुपालना रिपोर्ट पेश करें लेकिन अभी तक न तो पुरानी बिल्डिंग गिराई गई और न ही ट्रामा सैंटर का निर्माण किया गया।

रामपुर के खनेरी में ट्रामा सैंटर का काम अधूरा

रामपुर के खनेरी में ट्रामा सैंटर को शुरू करने के बारे में अदालत को बताया गया कि 81 लाख रुपए में से 51 लाख रुपए खर्च कर दिए गए हैं और निर्माण कार्य अभी अधूरा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि इस निर्माण कार्य को तय समय सीमा के तहत पूरा किया जाए। हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से पूछा है कि परवाणु से शिमला हाईवे पर ट्रामा सैंटर बनाने का प्रस्ताव क्यों नहीं है। मामले की आगामी सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित की गई है।

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