Edited By Ekta, Updated: 16 May, 2018 09:09 AM
राज्य सरकार द्वारा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। इसमें शिकायतकर्ता योगेंद्र मोहन ने अपना जवाब दायर किया। एन.जी.टी. ने अपीलकर्ता के जवाब का राज्य सरकार से 22 मई को प्रत्युत्तर देने को कहा है। इसके बाद...
शिमला: राज्य सरकार द्वारा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। इसमें शिकायतकर्ता योगेंद्र मोहन ने अपना जवाब दायर किया। एन.जी.टी. ने अपीलकर्ता के जवाब का राज्य सरकार से 22 मई को प्रत्युत्तर देने को कहा है। इसके बाद एन.जी.टी. इस मामले में आगामी सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि एन.जी.टी. ने बीते साल 16 नवम्बर को राज्य के प्लानिंग एरिया में अढ़ाई मंजिल मकान बनाने, अवैध भवन व डैविएशन को गिराने, 35 डिग्री से ज्यादा की ढलान पर निर्माण न करने व शिमला के एमसी एरिया में निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दे रखे हैं। इसी तरह राज्य सरकार ने कोर्ट का फैसला कुछ बिंदुओं पर एन.जी.टी. के क्षेत्राधिकार से बाहर बताया है। चूंकि अवैध भवन को रैगुलर करने की फीस का निर्धारण एन.जी.टी. ने किया है। राज्य के कानून विभाग की राय के बाद सरकार ने यह एन.जी.टी. के क्षेत्राधिकार से बाहर बताया है। ऐसे में अब प्रदेशवासियों की नजरें एन.जी.टी. के फैसले पर टिकी हुई हैं।
30,000 से ज्यादा अवैध भवनों के नियमितीकरण पर लटक रही है तलवार
एन.जी.टी. के आदेशों के बाद प्रदेश के 30,000 से ज्यादा अवैध भवनों के नियमितीकरण पर तलवार लटक गई है। इससे भवन मालिकों में हड़कंप मचा हुआ है। भवन मालिकों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने एन.जी.टी. में पुनर्विचार याचिका दायर कर रखी है। राज्य सरकार का तर्क है कि नगर एवं ग्राम नियोजन एक्ट के मुताबिक फोर प्लस वन यानी साढ़े 4 मंजिल तक भवन बनाने की छूट दी जाए। भविष्य में नियमों का ध्यान रखा जाएगा, साथ ही सरकार ने शिमला एम.सी. एरिया में निर्माण पर रोक हटाने, अढ़ाई मंजिल की शर्त खत्म करने व 45 डिग्री की ढलान की शर्त हटाने की एन.जी.टी. से गुहार लगाई है।