Edited By Vijay, Updated: 25 Oct, 2018 03:26 PM
हिमाचल प्रदेश में लोगों की देव आस्था इतनी गहरी है कि वो अपने सामाजिक से लेकर अपने घरों तक के फैसले देवता के दरबार मे करते हैं। वहीं कुल्लू घाटी में भी एक ऐसी जगह है जहां अदालत के मामलों को निपटाया जाता है।
कुल्लू (मनमिंदर): हिमाचल प्रदेश में लोगों की देव आस्था इतनी गहरी है कि वो अपने सामाजिक से लेकर अपने घरों तक के फैसले देवता के दरबार मे करते हैं। वहीं कुल्लू घाटी में भी एक ऐसी जगह है जहां अदालत के मामलों को निपटाया जाता है। मन्दिर में स्थापित 2 पत्थरों से ही सच और झूठ का फैसला किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति सच्चा है तो उसका बकरा अपने आप सच के पत्थर पर चढ़ जाता है और जिसका बकरा झूठ के पत्थर पर चढ़ जाए तो उसे झूठा करार दिया जाता है। यह मंदिर है जिला कुल्लू की सैंज घाटी के बनाऊंगी के कशू नारायण का।
देवता के दरबार में सजती है सभा
देवता के दरबार में सच और झूठ से पर्दा उठाने के लिए एक सभा सजती है, जिसमें दोनों पक्षों के लोग मौजूद रहते हैं। इस दौरान देव विधि के माध्यम से सच और झूठ का फैसला किया जाता है। देवता का आदेश दोनों पक्षों के लिए सर्वोपरि होता है। कुल्लू घाटी समेत प्रदेश के विभिन्न भागों से कोर्ट कचहरी के चक्कर से परेशान लोग देवता कशु नारायण के दरबार पहुंचते हैं और यहां सच और झूठ का पता लगाते हैं। इसके लिए देवता के दरबार में दोनों पक्ष आपसी सहमति से पहुंचते हैं और न्याय की गुहार लगाते हैं।
देवता के दरबार में होते हैं कई तरह के फैसले
देवता के कारदार मोहन ठाकुर का कहना है कि हिमाचल व अन्य राज्यों में देवता कशू नारायण के दरबार में लोग अपने मामलों को लेकर पंहुचते है, जिनका समाधान देव परंपरा के अनुसार किया जाता है। देव नीति के अनुसार दोनों पक्षों को दरबार में बैठाया जाता है और उनके सच-झूठ का फैसला किया जाता है। पुजारी मनीष शर्मा ने कहा कि देवता के दरबार में कई तरह के फैसले दिए जाते हैं, जिन्हें सब स्वीकारते हैं।