यहां क्रशर मालिकों व लोगों के बीच नहीं थमा विवाद, पुलिस के साथ भी तू-तू, मैं-मैं

Edited By Punjab Kesari, Updated: 24 Nov, 2017 10:59 PM

here not stay conflict between crusher owners and people

पुलिस थाना इंदौरा के अंतर्गत मंड मंजवाह क्षेत्र में स्थापित चिंतपूर्णी स्टोन क्रशर मालिकों व स्थानीय लोगों में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।

इंदौरा (अजीज खादिम): पुलिस थाना इंदौरा के अंतर्गत मंड मंजवाह क्षेत्र में स्थापित चिंतपूर्णी स्टोन क्रशर मालिकों व स्थानीय लोगों में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ गांववासी क्रशर उद्योग के मालवाहक वाहनों पर प्रतिबंध लगाने पर अड़े हैं तो दूसरी ओर इससे क्रशर उद्योग मालिकों का कारोबार रुका पड़ा है। कई बार पुलिस व प्रशासन ने मामले को सुलझाने के लिए प्रयास भी किए हैं लेकिन लोग नहीं मान रहे। लोगों का आरोप है कि जिस रास्ते से क्रशर उद्योग के मालवाहक वाहन जाते हैं वह रास्ता गांव के लोगों का है जबकि क्रशर उद्योग मालिकों की मानें तो यह रास्ता सरकारी है और जब क्रशर उद्योग स्थापित किया जा रहा था तो इसी रास्ते से सारा मैटीरियल जाता रहा है तब किसी ने आपत्ति नहीं जताई।

ग्रामीणों की क्रशर मालिकों व पुलिस से तू-तू, मैं-मैं
वहीं मामले को सुलझाने के लिए आज राजस्व विभाग के कर्मचारी निशानदेही के लिए गए लेकिन वहां पर स्थानीय महिलाएं व अन्य लोग जमा हो गए और मौके पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई, जिससे निशानदेही नहीं हो पाई। वहीं मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस थाना इंदौरा प्रभारी देवानंद गुलेरिया, पुलिस चौकी ठाकुरद्वारा प्रभारी सुरेंद्र सिंह महिला व पुरुष पुलिस बल सहित मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों को शांतिपूर्ण ढंग से निशानदेही करने बारे अपील की लेकिन लोगों की क्रशर मालिकों व पुलिस के बीच भी कथित तौर पर त-ूतू, मैं-मैं हुई और दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। माहौल को बिगड़ता देख थाना प्रभारी ने बीचबचाव करते हुए निशानदेही को सोमवार तक के लिए स्थगित करना ही बेहतर समझा।

क्रशर मालिकों को करोड़ों का नुकसान
पिछले डेढ़ साल से चल रहे इस विवाद से क्रशर मालिकों को अब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है। क्रशर मालिकों ने बैंकों से करोड़ों रुपए का ऋण ले रखा है और गांववासियों द्वारा मालवाहक वाहनों को न जाने देने से उनका कारोबार ही चौपट नहीं हो रहा बल्कि बैंकों का ब्याज भी दिन ब दिन बढ़ रहा है। हैरानी की बात यह है कि स्थानीय न्यायालय से नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की बैंच तक से न केवल क्रशर मालिक एन.ओ.सी. धारक हैं बल्कि वे सभी केस भी जीत चुके हैं। बावजूद इसके प्रशासन इतने अर्से से क्रशर उद्योग को सुचारू रूप से चलाने की व्यवस्था नहीं कर पाया है। क्रशर उद्योग मालिकों की मानें तो गांव के लोगों को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कुछ गिने-चुने लोग ब्लैकमेलिंग करना चाहते हैं। सभी नियमों को पूरा कर क्रशर उद्योग स्थापित किए जाने के बावजूद गाडिय़ों को रोकना कहां तक न्यायसंगत है, प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है।

क्या कहते हैं लोग
गांव बसंतपुर के प्रधान आशु, उपप्रधान जोगिंदर सिंह, ब्लाक समिति मैम्बर कृष्णा देवी, वार्ड मैम्बर सुनीता देवी, लेख राज, शेर सिंह, संसार चंद, रीता देवी, अनीता, सत्या, निर्मल सिंह व महिंदर सिंह आदि गांववासियों का कहना है कि हम मर जाएंगे परन्तु क्रशर की कोई भी गाड़ी इस रास्ते से नही जाने देंगे। उन्होंने कहा कि हमारा यह रास्ता ग्रामीण रास्ता है जोकि घरों से होकर जाता है और दोनों तरफ आबादी है और बड़े वाहन चलने से उनके घरों को नुकसान होगा। लोगों का कहना है कि किसी भी कीमत पर वे क्रशर उद्योग की माल से लदी गाडिय़ों को उक्त रास्ते से नहीं गुजरने देंगे।

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