यहां राजाओं का ऐतिहासिक पैलेस खंडहर में हुआ तबदील (देखें तस्वीरें)

Edited By Ekta, Updated: 15 Mar, 2019 09:02 AM

here kings historic palace in ruins changed

जिस स्थान पर कभी परिंदा भी पर नहीं मार सकता था वो स्थान आज खंडहर के रूप में तबदील हो गया है। उचित देखरेख न होने के कारण छोटी काशी मंडी में राजाओं का पैलेस आज अपनी दयनीय हालत पर आंसू बहा रहा है। इस प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए कहीं से...

मंडी (नीरज): जिस स्थान पर कभी परिंदा भी पर नहीं मार सकता था वो स्थान आज खंडहर के रूप में तबदील हो गया है। उचित देखरेख न होने के कारण छोटी काशी मंडी में राजाओं का पैलेस आज अपनी दयनीय हालत पर आंसू बहा रहा है। इस प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए कहीं से कोई प्रयास होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। राजा जोगिंद्र सेन ने जब इस पैलेस का निर्माण करवाया तो इसके बाद ही इस पूरे वार्ड को पैलेस कालोनी का नाम मिला। इतिहासकार कृष्ण कुमार नूतन बताते हैं कि पैलेस में सुरक्षा इतनी पुख्ता होती थी कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। यहां दो मंजिला इस पैलेस की उपरी मंजिल में राजा अपने परिवार के साथ रहते थे। 
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धरातल वाली मंजिल पर राजा का कार्यालय चलता था जहां पर उनके निजी सचिव और अन्य कर्मचारी बैठते थे। मंडी रियासत की महत्वपूर्ण बैठकें इसी पैलेस की उपरी मंजिल में हुआ करती थी। जिसे अनुमति मिलती थी वही इस पैलेस में प्रवेश करता था, जबकि इसके अलावा किसी को भी अंदर नहीं आने दिया जाता था राजाओं के राजा समाप्त हुए तो राज परिवारों को उनकी संपत्ति वापिस मिल गई। बताया जाता है कि राज परिवार के सदस्यों ने वर्ष 1977 में इस पैलेस को और इसके साथ लगती 7 बीघा जमीन को पूर्व सैनिक लीग को चार लाख रुपयों में बेच दिया। बाद में यह जमीन और पैलेस सोल्जर बोर्ड के अधीन हो गया। सोल्जर बोर्ड का कार्यालय यहीं से चलता है। साथ ही आर्मी कैंटीन और सेना भर्ती कार्यालय भी यहीं इसी पैलेस से संचालित हो रहे हैं।
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काफी लंबे समय तक फायर ब्रिगेड का कार्यालय भी इसी पैलेस में रहा और अन्य विभागों के कार्यालय भी यहां चले। इन सब कार्यालयों से सोल्जर बोर्ड को किराया मिलता रहा और अभी भी मिल रहा है। लेकिन सोल्जर बोर्ड ने इस ऐतिहासिक पैलेस की मुरम्मत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। आज आलम यह हो गया है इस प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर की दीवारों पर छाड़िया और छोटे-छोटे पेड़ उग आए हैं। तस्वीरें खुद बता रही हैं कि इस पैलेस की हालत आज क्या हो चुकी है। स्थानीय निवासी संजीव डिसिल्वा और बीमला देवी ने बताया कि ऐतिहासिक धरोहर की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा और यह खंडहर बनती जा रही है। इन्होंने इसकी उचित देखभाल करने की मांग उठाई है। जिला में गठित सोल्जर बोर्ड के चेयरमैन डीसी होते हैं। हमने इस बारे में डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर से बात की।
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उन्होंने बताया कि मामला उनके ध्यान में आया है कि ऐतिहासिक धरोहर की उचित देखभाल नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि इस बारे में सोल्जर बोर्ड के अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं। बहरहाल डीसी साहब ने उचित कार्रवाई का भरोसा तो दिलाया है लेकिन इंतजार उस पल का रहेगा जब वास्तविकता में इस भवन के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू होगा और लोगों को यह पैलेस सच में पैलेस की तरह नजर आएगा। क्योंकि धरोहर ऐतिहासिक है और अगर समय रहते इसकी देखरेख नहीं की गई तो फिर इसे मिटने में देर नहीं लगेगी और यह सिर्फ तस्वीरों में ही सिमट कर रह जाएगी।
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