यहां फर्जी गरीबों पर मेहरबान प्रशासन, जानिए क्या है मामला

Edited By Ekta, Updated: 07 Apr, 2019 11:58 AM

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पालमपुर के चढियार की छेक पंचायत में बी.पी.एल. से बाहर रखे गए एक अति गरीब परिवार के सामने आए मामले के बाद अब फिर बैजनाथ उपमंडल में फर्जी गरीबों का मामला तूल पकड़ने लगा है। इस उपमंडल के अधीन आने वाले बैजनाथ व पंचरुखी ब्लाक में वर्ष 2018 में तत्कालीन...

पालमपुर (मुनीष): पालमपुर के चढियार की छेक पंचायत में बी.पी.एल. से बाहर रखे गए एक अति गरीब परिवार के सामने आए मामले के बाद अब फिर बैजनाथ उपमंडल में फर्जी गरीबों का मामला तूल पकड़ने लगा है। इस उपमंडल के अधीन आने वाले बैजनाथ व पंचरुखी ब्लाक में वर्ष 2018 में तत्कालीन एस.डी.एम. द्वारा करवाए गए 64 पंचायतों के सर्वे में 2937 बी.पी.एल. परिवार ऐसे पाए गए थे, जो गरीबी रेखा से बाहर आ चुके हैं और बाकायदा उनके पास आलीशान मकान से लेकर वाहन तक हैं। अत्यंत गरीब परिवारों का हक मारकर बैठे ऐसे फर्जी गरीबों की सामने आ रही शिकायतों के बाद तत्कालीन एस.डी.एम. विकास शुक्ला ने सभी पंचायतों में एक 4 सदस्यीय टीम गठित कर बी.पी.एल. परिवारों के लिए एक सर्वे करने के आदेश दिए थे। 

इस टीम में पंचायत सचिव, पटवारी, आंगनबाड़ी सुपरवाइजर व राशन डिपो होल्डर को शामिल किया गया था। इन टीमों की जो रिपोर्ट सामने आई थी वो हैरान करने वाली थी। इस रिपोर्ट के अनुसार बैजनाथ उपमंडल की पंचायतों में बी.पी.एल. के नाम पर अधिकांश वे लोग सुविधाओं का आनंद ले रहे थे, जो बी.पी.एल. के सहारे कई साल पहले ही साधन संपन्न हो चुके थे लेकिन पंचायतों से लेकर विधानसभा तक की वोट की राजनीति के आश्रय बार-बार बी.पी.एल. सूचियों में नाम दर्ज करवाने में सफल हो रहे थे। इस उपमंडल के दोनों ब्लाकों की पंचायतों में कई ऐसे परिवार थे जो गरीबी रेखा से भी काफी नीचे बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर थे लेकिन सरकार की बी.पी.एल. की योजना उन परिवारों तक पहुंच ही नहीं पा रही थी।

ऐसे सभी परिवारों को पंचायतों से बाहर करने के आदेश अक्तूबर, 2018 में जारी किए गए थे तथा ऐसे लोगों की एक बार पर स्थिति जानने के लिए भी पंचायतों को ग्राम सभा की बैठकों में चर्चा के लिए कहा गया था। इस मामले के सामने आने के बाद बैजनाथ उपमंडल के अधीन आने वाले पंचरुखी व बैजनाथ ब्लाकों की 64 पंचायतों में हड़कंप मच गया था। इस सर्वे रिपोर्ट का ही असर था कि उस समय के एस.डी.एम. पर भी तबादले की गाज गिरा दी गई थी। इसके बाद नए एस.डी.एम. ने जब कार्यभार संभाला था तो पिछले निर्णय पर रोक लगाते हुए ऐसे फैसलों को लेकर केवल पंचायतों को ही ग्राम सभा की बैठकों में चर्चा को कहा गया था। अब जब छेक पंचायत के अति गरीब भुट्टू राम के परिवार को भी बी.पी.एल. से बाहर रखने का मामला सामने आया है तो इस उपमंडल में फर्जी गरीबों की फिर से जांच करवाने की मांग उठना शुरू हो गई है।

बी.पी.एल. सूची में कौन होता है शामिल

बी.पी.एल. सूची में उसी परिवार को शामिल किया जा सकता है, जिसकी मासिक आय 2500 रुपए तक हो। घर में कोई इलैक्ट्रॉनिक्स उपकरण जैसे टी.वी., फ्रिज आदि तथा गाड़ी आदि न हो। इसके अलावा जमीन व सरकारी या निजी नौकरी को भी देखा जाता है।

 

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