असहाय पिता ने बयां किया दर्द, बिजली होती तो बच जाती बेटे की जान (Video)

Edited By Ekta, Updated: 06 Aug, 2018 05:28 PM

एक तरफ घोर गरीबी तो दूसरी तरफ बच्चे को सांप ने काट खाया। ऊना जिला के तहत गांव देहलां के एक असहाय पिता का दर्द जानिए। इधर सांप ने काटा तो उधर उसके पास कोई ऐसा चारा नहीं था कि बच्चे को वह कोई मदद पहुंचा पाते। चूंकि घर में बिजली का कनैक्शन ही नहीं था...

ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): एक तरफ घोर गरीबी तो दूसरी तरफ बच्चे को सांप ने काट खाया। ऊना जिला के तहत गांव देहलां के एक असहाय पिता का दर्द जानिए। इधर सांप ने काटा तो उधर उसके पास कोई ऐसा चारा नहीं था कि बच्चे को वह कोई मदद पहुंचा पाते। चूंकि घर में बिजली का कनैक्शन ही नहीं था तो लाइट जलाकर कैसे पता लगाते कि बेटे को जहरीले सांप ने डसा है। असहाय पिता ने मुश्किल से दीया जलाया और बेटे का खुद ही उपचार करने लग पड़े। देर हो चुकी थी जब तक कि बेटा बेहोश न हुआ। असहाय पिता को एहसास तक न हुआ। अस्पताल ले जाया गया तो बेटे को मृत घोषित कर दिया गया। 
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देहलां के रामस्वरूप मेहनत मजदूरी कर अपने 2 बच्चों का पालन-पोषण कर रहा है। झोंपड़ीनुमा घर में रहने वाले रामस्वरूप का दर्द जानिए कि गरीबी में उसकी पत्नी भी उसे छोड़ चुकी है। बड़ा बेटा 14 वर्ष का हुआ तो उसे सांप ने ऐसा डसा कि वह हमेशा के लिए अलविदा कर गया। छठीं कक्षा में पढ़ने वाला संजीव कुमार पिता को असहनीय दर्द दे गया। गांव देहलां के निवासी इस व्यक्ति के सिर पर न पक्की छत है, न लाइट का कनैक्शन, न पानी का कनैक्शन और न ही उसका नाम गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों में शुमार है। 
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बेटे की मौत के बाद जब रामस्वरूप की तरफ प्रशासन और जनता का ध्यान गया, तब जाकर इसके कच्चे मकान को बिजली का कनैक्शन देने की कदमताल शुरू हुई। कहां तो चांद पर पहुंचने की बातें हो रही हैं और कहां लोग अभी भी दीया जलाकर जीवन यापन कर रहे हैं। ग्राम पंचायत प्रधान देवेन्द्र कौशल ने माना कि बेहद गरीबी में दिन गुजार रहे रामस्वरूप करीब अढ़ाई वर्ष पहले ही गांव में आए थे। पहले वह परिवार सहित किसी दूसरी जगह काम करते थे। पंचायत ने उनका नाम गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों में शामिल करने के लिए औपचारिकताएं शुरू कर दी हैं। बिजली का कनैक्शन मुहैया करवा दिया जाएगा। 
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जिला प्रशासन ने भी इस मामले पर अपनी कवायद तेज की है। रामस्वरूप को बेटे की मौत पर सरकार द्वारा तयशुदा मापदंडों के मुताबिक मुआवजा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त उसे सरकारी योजनाओं का लाभ देने की बात कही जा रही है। उभरते सवाल यह भी हैं कि आखिर तब ही पंचायतों, सरकारी नुमाइंदों व प्रशासनिक अधिकारियों को गरीबों की याद क्यों आती है जब यह मामले सामने आते हैं। इससे पहले सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को क्यों नहीं दिया जाता है।

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