Edited By Vijay, Updated: 06 Nov, 2019 03:49 PM
मंडी जिला के एक माता-पिता को अपने 23 वर्षीय बेटे की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सरकारी मदद की दरकार है। लेखराज और पिंकी नाचन विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत जुगाहण से संबंध रखते हैं, जिनके छोटे बेटे अविनाश की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं।
सुंदरनगर (नितेश सैनी): मंडी जिला के एक माता-पिता को अपने 23 वर्षीय बेटे की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सरकारी मदद की दरकार है। लेखराज और पिंकी नाचन विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत जुगाहण से संबंध रखते हैं, जिनके छोटे बेटे अविनाश की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं। जितनी हैसियत थी उतना उपचार पर पैसा खर्च किया। अब पैसे के अभाव में उसका बेहतर उपचार नहीं हो पा रहा है।
कृषि योग्य 17 बिस्वा भूमि बेच चुका है परिवार
बीमारी के कारण परिवार अपनी कृषि योग्य लगभग 17 बिस्वा भूमि को भी बेच चुका है और अब मात्र एक टुकड़ा ही कृषि के लिए बचा हुआ है लेकिन किडनी रोग से ग्रस्त अविनाश के इलाज को लेकर परिवार इस बची हुई भूमि को भी बेचने की कगार पर पहुंच गया है। अविनाश के किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उसकी माता की किडनी से मैचिंग तो हो गई है लेकिन इस खर्च को वहन करने के लिए परिवार असहाय महसूस कर रहा है। अब उसकी उम्मीद सरकारी मदद पर टिकी है, जिससे बेटे का अच्छा इलाज हो सके और वह पहले की तरह स्वस्थ दिखाई दे।
बड़े बेटे की भी पीलिया रोग से हो चुकी है मौत
कारपेंटर का कार्य करने वाले लेखराज ने कहा कि उनका परिवार 5 लोगों का है और उनके एक बेटे की मृत्यु पीलिया रोग से किडनी खराब होने के कारण हो गई थी। उन्होंने कहा कि अपने बड़े बेटे के इलाज में भी लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि बीपीएल परिवार होने पर भी सरकार व प्रशासन की ओर से आजदिन तक उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि इलाज के दौरान पीजीआई में भी हैल्थ कार्ड नहीं चल रहा है। लेखराज ने कहा कि अविनाश का एक हफ्ते में 2 बार डायलिसिस करवाना पड़ता है और इस पर एक माह में लगभग 40 हजार रुपए का खर्च आ रहा है। लेखराज एक मात्र सहारे अविनाश की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए ऑप्रेशन कराना चाहता है, पर इसके लिए लगभग 5 लाख रुपए नहीं है।
ऑटो का किराया देने के लिए भी नहीं बचते पैसे
किडनी रोग से पीड़ित अविनाश की माता पिंकी ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि पीजीआई में उनके बेटे के इलाज के दौरान अत्यधिक खर्च हो जाने के कारण कई बार उनके पास ऑटो का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं बचते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की शादी हो चुकी है और अब परिवार अपने बेटे की बीमारी के चलते अपनी जमापूंजी भी इस पर लगा चुका है। उन्होंने कहा कि उनकी किडनी उनके बेटे की किडनी के साथ ट्रांस्प्लांट के लिए मैच तो हो गई है लेकिन इस ऑप्रेशन के लिए आने वाले लगभग 5 लाख रुपए खर्चे को लेकर उनके पास पैसा नहीं बचा है। उन्होंने सरकार व प्रशासन से सहायता करने की गुहार लगाई है।
2016 में चला बेटे की किडनियां खराब होने का पता
लेखराज और पिंकी ने अपने बड़े बेटे की मृत्यु का गम अभी भुलाया भी नहीं था कि 3 साल पहले वर्ष 2016 में अपने बचे हुए एकमात्र सहारे अविनाश को चक्कर आने की तकलीफ हुई। इस पर अविनाश का पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उसके बाद सिविल अस्पताल सुंदरनगर में चैकअप करवाया गया। जांच कराने पर चिकित्सक ने अविनाश की दोनों किडनियां खराब होना बताया। यह सुनते ही जैसे लेखराज और उसकी पत्नी के पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके उपरांत अविनाश पीजीआई चंडीगढ़ में उपचाराधीन है और सुंदरनगर में प्राइवेट डायलिसिस सैंटर में हफ्ते में 2 बार उसका डायलिसिस करवाया जाता है।