Edited By Ekta, Updated: 06 Oct, 2019 09:58 AM
आय संबंधी गलत प्रमाण पत्र जारी करना नायब तहसीलदार व पटवारियों को महंगा पड़ा। हाईकोर्ट ने इन कर्मियों के खिलाफ विभागीय व आपराधिक कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने आंगनबाड़ी सहायिका की नियुक्ति को रद्द करते हुए जिलाधीश...
शिमला (मनोहर): आय संबंधी गलत प्रमाण पत्र जारी करना नायब तहसीलदार व पटवारियों को महंगा पड़ा। हाईकोर्ट ने इन कर्मियों के खिलाफ विभागीय व आपराधिक कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने आंगनबाड़ी सहायिका की नियुक्ति को रद्द करते हुए जिलाधीश सिरमौर को आदेश दिए हैं कि वह प्रमाण पत्र जारी करने वाले हरिपुरधार के नायब तहसीलदार व संबंधित पटवारियों के खिलाफ विभागीय जांच अमल में लाएं। कोर्ट ने 31 मार्च, 2020 तक विभागीय जांच को अंतिम रूप दिए जाने के आदेश जारी किए हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय ने नायब तहसीलदार, संबंधित पटवारियों व चाइल्ड रिलीफ एंड वूमन वैल्फेयर सोसायटी नाहन के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी अमल में लाने के आदेश जारी किए हैं।
कोर्ट के अनुसार उपरोक्त सोसायटी ने प्रतिवादी अनीता देवी को नर्सरी टीचर ट्रेनिंग का झूठा अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया था। न्यायालय ने जिलाधीश सिरमौर को आदेश जारी किए हैं कि वह मामले से संबंधित सारा रिकॉर्ड एकत्रित करने के पश्चात इसकी प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक सिरमौर को सौंपें। इस मामले की जांच उप पुलिस अधीक्षक के ओहदे वाला अधिकारी करे। अगर प्रथम दृष्टया यह साबित हो जाता है कि इन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है तो इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के पश्चात उसे अंतिम रूप तक ले जाया जाए।
उपरोक्त अधिकारी व कर्मचारी शायद यह भूल गए हैं कि सरकारी कार्यालय जिन्हें वे चलाते हैं, वे सदुपयोग के लिए बने हैं न कि दुरुपयोग के लिए। अगर इन्हें चलाने वाले इस नियम को भंग करते हैं तो देश का कानून शक्तिहीन नहीं है। यह अपना काम करेगा और न केवल मनमाने ढंग से लिए गए निर्णय को ही रद्द करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो। हालांकि सुनवाई के दौरान प्रार्थी कौशल्या देवी की ओर से याचिका को वापस लेने की गुहार लगाई गई थी मगर कोर्ट ने कहा कि मात्र जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच के दौरान सामने आई सच्चाई को नजरअंदाज करने के उद्देश्य से प्रार्थी की याचिका को वापस लेने वाली मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
जिलाधीश सिरमौर द्वारा न्यायालय के समक्ष दायर शपथ पत्र के अनुसार उन्होंने जांच के दौरान यह पाया कि नायब तहसीलदार हरिपुरधार ने जो आय का प्रमाण पत्र जारी किया था, वह कथित तौर पर कृषि भूमि से जुड़ी आय पर आधारित था, जबकि पटवारियों की रिपोर्ट पर तैयार किया गया यह प्रमाण पत्र वास्तविक तौर पर गलत पाया गया है। न्यायालय ने इसी जांच के आधार पर नायब तहसीलदार हरिपुरधार व संबंधित पटवारियों के खिलाफ विभागीय व आपराधिक कार्रवाई अमल में लाने के आदेश जारी किए हैं। मामले पर सुनवाई 2 अप्रैल, 2020 को होगी।