ढारे बनाकर जीवनयापन करने वाले हजारों परिवारों को बड़ी राहत, HC ने बेदखली पर तुरंत प्रभाव से लगाई रोक

Edited By Vijay, Updated: 06 Apr, 2021 11:51 PM

hc prohibits eviction with immediate effect

प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि पर ढारे बनाकर जीवनयापन करने वाले हजारों परिवारों को बड़ी राहत देते हुए उनकी बेदखली पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकारी व अन्य विभागों की जमीन पर जीवन यापन करने के लिए ढारे...

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि पर ढारे बनाकर जीवनयापन करने वाले हजारों परिवारों को बड़ी राहत देते हुए उनकी बेदखली पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकारी व अन्य विभागों की जमीन पर जीवन यापन करने के लिए ढारे बनाने वालों के पुनर्वास के लिए कोई उचित निर्णय नहीं ले लिया जाता तब तक उनकी बेदखली की कार्रवाई रोक दी जाए। न्यायाधीश रवि मलिमथ ने अपने आदेशों के माध्यम से राज्य सरकार को उसके संवैधानिक दायित्वों की याद भी दिलाई।

कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सभी नागरिकों का जीवनयापन का अधिकार पूर्णतया सुरक्षित है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह भी सरकार का ही दायित्व है कि वह सरकारी भूमि की रक्षा करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ  से याचिकाकत्र्ता व ऐसे ही अति निर्धन लोगों को विशेष संरक्षण की जरूरत है ताकि वे मानव जीवन जी सके। मामले के अनुसार बोहरी देवी व अन्य याचिकाकत्र्ताओं का आरोप था कि वे प्रदेश में कई दशकों से रह रहे हैं और उनके नाम प्रदेश में तो क्या पूरी धरती पर एक इंच भी भूमि नहीं है।

प्रार्थियों का मानना था कि इसी कारण वे अनेकों वर्षों से सरकारी भूमि पर छोटे-छोटे ढारे बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं। अब सरकार ने उनका पुनर्वास किए बगैर उनके खिलाफ  बेदखली प्रक्रिया आरंभ कर दी है। सरकार का कहना था कि प्राॢथयों ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया है और सरकारी संपत्ति का संरक्षक होने के नाते उसे सरकारी भूमि खाली करवाने के लिए उनके खिलाफ  बेदखली प्रक्रिया आरम्भ की गई है।

कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के पश्चात कहा कि पूरे प्रदेश में याचिकाकत्र्ताओं की तरह अपना जीवन यापन करने के लिए सरकारी भूमि पर ढारे बनाने वालों को अपने पुनर्वास के लिए 6 महीने के भीतर सरकार के समक्ष प्रतिवेदन पेश करना होगा। इसके पश्चात सरकार को संवैधानिक कत्र्तव्यों को ध्यान में रखते हुए उनके पुनर्वास बारे निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार द्वारा ऐसे अतिनिर्धन परिवारों के लिए पुनर्वास संबंधी निर्णय नहीं ले लिया जाता तब तक उनकी बेदखली प्रक्रिया पर रोक रहेगी।

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