Edited By Ekta, Updated: 21 Dec, 2018 10:36 AM
हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि वह वन भूमि से फिलहाल बिना पौधों को काटे अतिक्रमण हटाए। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश सी.बी. बारोवालिया की खंडपीठ ने अतिक्रमण वाली वन भूमि से अतिक्रमण हटाकर उस भूमि को पक्की रिटेनिंग वाल लगाकर बंद...
शिमला (मनोहर): हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि वह वन भूमि से फिलहाल बिना पौधों को काटे अतिक्रमण हटाए। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश सी.बी. बारोवालिया की खंडपीठ ने अतिक्रमण वाली वन भूमि से अतिक्रमण हटाकर उस भूमि को पक्की रिटेनिंग वाल लगाकर बंद करने के आदेश जारी किए हैं। इसका सारा खर्च अतिक्रमणकारियों से वसूला जाए। खंडपीठ ने आदेश जारी किए हैं कि 30 मार्च से पहले हाईकोर्ट के पिछले उन आदेशों की अनुपालना करें जिसके तहत शिमला जिला के जुब्बल व कोटखाई तहसील के बड़े अतिक्रमणकारियों से कब्जा छुड़ाने को कहा गया था।
कोर्ट ने एस.आई.टी. को आदेश दिए हैं कि वह अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी करे, जिस दिन उसने अवैध कब्जे वाली भूमि की पहचान करनी हो। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अतिक्रमण वाली भूमि से हरे पेड़ों को काटना पर्यावरण के हित में नहीं है। हाईकोर्ट ने एस.आई.टी. द्वारा आदेशों की अनुपालना न करने पर भी खेद जताया। न्यायालय ने राज्य सरकार को अन्य जिलों में अतिक्रमण की स्थिति बारे न्यायालय को अवगत करवाने को कहा है। कोर्ट ने इस बाबत सचिव वन को अपना हलफनामा दायर करने के भी आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2014 से हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना में अतिक्रमण वाली सैंकड़ों बीघा भूमि को छुड़ा लिया गया है।