KCCB के अध्यक्ष की याचिका पर हिमाचल सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

Edited By Vijay, Updated: 20 Apr, 2018 12:17 AM

hc notice to himachal government on petition of president of kccb

प्रदेश उच्च न्यायालय ने कांगड़ा सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक के अध्यक्ष जगदीश चंद सिपहिया के निलंबन आदेश व पद से हटाने बाबत कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने याचिका में राज्य सरकार व अन्यों को नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के आदेश...

शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने कांगड़ा सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक के अध्यक्ष जगदीश चंद सिपहिया के निलंबन आदेश व पद से हटाने बाबत कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने याचिका में राज्य सरकार व अन्यों को नोटिस जारी करते हुए 2 सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के आदेश जारी किए हैं। मामले पर सुनवाई 10 मई को निर्धारित की गई है। रजिस्ट्रार को-ऑप्रेटिव सोसायटी आर.एन. बत्ता व एम.डी. कांगड़ा सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक प्यार चंद अकेला को इस मामले में निजी तौर पर प्रतिवादी बनाया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जगदीश चंद सिपहिया द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए हैं। 


यह है मामला
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार कांगड़ा सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक में कई तरह की अनियमितताएं बरतने के आरोपों को लेकर 6 अप्रैल, 2018 को रजिस्ट्रार को-ऑप्रेटिव सोसायटी ने प्रार्थी को मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व बोर्ड के 13 निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें उनके पदों से हटाते हुए मैनेजिंग कमेटी को भंग किया जाए। नोटिस का जवाब 30 दिनों में देने को कहा है। तब तक जिलाधीश कांगड़ा को बैंक के कार्य को देखने के लिए बतौर प्रशासक नियुक्त किया गया है। तब तक प्रार्थी व सभी निदेशकों को निलंबित कर दिया गया है। 6 अप्रैल को जारी आदेशों के तहत प्रार्थी जगदीश सिपहिया, कुलदीप सिंह पठानिया, अजीत पाल महाजन, प्रेमलता ठाकुर, करनैल सिंह राणा, केशव कोरला, आत्मप्रकाश ठाकुर, छेरिंग ताशी, मनोहर लाल, राजीव गौतम, लेखराज कंवर, सुनील दत्त, संजीव राणा, हितेश्वर सिंह व प्रकाश चंद को उनके पदों से निलंबित कर दिया गया है। 


कारण बताओ नोटिस कानून के नजरिए से गलत 
प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि उसके खिलाफ  जारी कारण बताओ नोटिस कानून के नजरिए से गलत है। प्रार्थी के अनुसार उसने व बोर्ड के अन्य सदस्यों ने अभी तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है, इस कारण उन्हें समय से पहले बर्खास्त किया जाना कानूनी तौर पर गलत है। प्रार्थी के अनुसार कमेटी के सभी सदस्यों को को-ऑप्रेटिव सोसायटी रूल्स के तहत चुनाव आयोजित करने के बाद ही इस पद पर चयनित किया गया था। प्रार्थी ने राज्य सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की गुहार लगाई है।

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