Edited By Vijay, Updated: 03 Sep, 2019 03:40 PM
हिमाचल प्रदेश व्रत एवं त्यौहारों की धरती है और यहां पर कई तरह के व्रत-त्यौहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक व्रत ऐसा है, जिसके नियम करवाचौथ के व्रत से भी कठिन है।
बिलासपुर (मुकेश): हिमाचल प्रदेश व्रत एवं त्यौहारों की धरती है और यहां पर कई तरह के व्रत-त्यौहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक व्रत ऐसा है, जिसके नियम करवाचौथ के व्रत से भी कठिन है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए सौभाग्य प्राप्ति के लिए करती हैं। यह हरितालिका का तीज का व्रत है। इसे पहाड़ी भाषा में चिड़ियों का व्रत भी कहा जाता है।
महिलाएं समूहों में इकट्ठा होकर करती हैं भगवान शिव की पूजा
इस व्रत के दौरान महिलाएं समूहों में इकट्ठा होकर नाना प्रकार के फूल- फलों और पत्तों से शिव भगवान की पूजा करती हैं और सौभाग्य प्राप्ति के लिए अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है। इस व्रत के दौरान महिलाएं 2 दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करतीं और दूसरे दिन चौथ के अवसर पर व्रत खोल कर भोजन करती हैं। उसके बाद शिव भगवान के दर्शन करते हैं और उनकी आरती के बाद यह व्रत पूर्ण होता है।
मां पार्वती ने शिव भगवान को पाने के लिए किया था ये व्रत
कहते हैं कि इस व्रत को पार्वती माता ने शिव भगवान को पाने के लिए किया था और जंगल में विभिन्न प्रकार के फूलों-पत्तों से शिव भगवान की पूजा की थी और उसी की तर्ज पर महिलाएं आज भी बड़े उत्साह के साथ इस व्रत को करती हैं। नवविवाहित दुल्हन की तरह सजी महिलाएं हाथों पर मेहंदी लगाकर पूजा-अर्चना करने के उपरांत व्रत को खोलती हैं।