Teacher's Day: हाथ नहीं हैं फिर भी बच्चों को पढ़ाने के लिए पैरों से ब्लैक बोर्ड पर लिखते हैं हरिदत्त

Edited By Ekta, Updated: 05 Sep, 2018 11:07 AM

haridutt writes on the black board with legs

जिद अगर कुछ कर गुजरने की हो तो दुनिया की कोई परेशानी आपका रास्ता नहीं रोक सकती। बिरले ही होते हैं ऐसे लोग जिनके मजबूर इरादों के सामने परेशानियां घुटने टेकने को मजबूर हो जाती हैं। आज टीचर डे पर ऐसे ही एक दिव्यांग शिक्षक हरिदत्त शर्मा को सलाम, जिनकी...

पांवटा (रोबिन): जिद अगर कुछ कर गुजरने की हो तो दुनिया की कोई परेशानी आपका रास्ता नहीं रोक सकती। बिरले ही होते हैं ऐसे लोग जिनके मजबूर इरादों के सामने परेशानियां घुटने टेकने को मजबूर हो जाती हैं। आज टीचर डे पर ऐसे ही एक दिव्यांग शिक्षक हरिदत्त शर्मा को सलाम, जिनकी दोनों बाजुएं नहीं हैं लेकिन फिर भी उनके अंदर मेहनत और जिंदादिली कूट-कूट कर भरी है। वह दिनचर्या का हर काम खुद करते हैं। यही कारण है कि हरिदत्त अध्यापकों के लिए उत्तम आदर्श बन गए हैैं। 
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हरिदत्त शर्मा सिरमौर के दूरदराज मालगी गांव के रहने वाले हैं। वह खुद तमाम तकलीफें उठाकर प्राथमिक स्कूल में बच्चों का भविष्य सवारने में लगे हैं। उन्होंने दिव्यांगता को कभी भी चुनौती नहीं बनने दिया, न ही अपने विद्यार्थियों और उनकी शिक्षा के आड़े आने दिया। हरिदत्त शर्मा दोनों बाजुएं न होने के बावजूद पढ़ाने में तो अव्वल हैं ही, लिखने में भी उनका कोई जबाब नहीं है।
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बच्चों को इतने सहत ढंग से पढ़ाते हैं कि साधारण से साधारण दिमाग वाला बच्चा आसानी से समझ जाए। बच्चे भी ऐसे साधारण व्यक्तित्व और उच्च आदर्शों वाले गुरु पाकर धन्य हो रहे हैं। विद्या के इस मंदिर में सुविधाओं के तमाम अभाव हैं लेकिन हरिदत्त का प्रयास रहता है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास है। नैनिधार में तैनात अध्यापक दिनेश कुमार ने भी प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों के बढ़ते वरचस्व के बीच असंभव सा लगने वाला उदहारण पेश किया है।
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इन्होंने नैनिधार में प्राइवेट स्कूलों से दर्जनों बच्चे खींच कर अपने सरकारी स्कूल में दाखिल करवाया है। यह सब दिनेश के मधुर व्यवहार और बच्चों के प्रति अगाध प्रेम और शिक्षण के प्रति उनके समपर्ण के चलते संभव हो रहा है। 
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बच्चों को पढ़ाने की उनकी शैली का ही कमाल है कि स्कूलों के दो दर्जन से अधिक बच्चे अब उनके स्कूल में पढ़ते हैं। जबकि अन्य स्थानों पर सरकारी स्कूलों के बच्चे प्राइवेट का रूख कर रहे हैं। ऐसे में प्राइवेट स्कूलों को अब यह सरकारी अध्यापक खटकने लगा है। इसक चलते तबादले के रूप में इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों में रोष है और बच्चों के चहेते अध्यापक की ट्रांसफर रोकने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि उनका तबादला जल्द रोका जाए। 
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