Gudiya case : सुनवाई हुई, बहस हुई, अब 18 को सुनाई जाएगी सजा

Edited By prashant sharma, Updated: 15 Jun, 2021 01:58 PM

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हिमाचल प्रदेश के शिमला के चर्चित कोटखाई रेप और मर्डर केस में दोषी नीलू की सजा पर बहस को लेकर मंगलवार को शिमला जिला अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान सीबीआई के वकील और बचाव पक्ष के वकील ने अपनी दलीलें रखी।

शिमला : हिमाचल प्रदेश के शिमला के चर्चित कोटखाई रेप और मर्डर केस में दोषी नीलू की सजा पर बहस को लेकर मंगलवार को शिमला जिला अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान सीबीआई के वकील और बचाव पक्ष के वकील ने अपनी दलीलें रखी। हालांकि सुनवाई के बाद भी सजा का एलएन नहीं हो सका है। न्यायालय ने अब मामले में 18 जून को सजा का ऐलान करने की बात कही है। किया जाएगा। इससे पहले कोरोना के कारण 5 सुनवाई नहीं हो सकी थी, जबकि 28 अप्रैल को नीलू को दोषी करार दिया गया था। 

मंगलवार को सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि दोषी ने इस घटना को प्लानिंग के तहत अंजाम नहीं दिया था। ऐसे में सजा-ए-मौत की सजा नहीं सुनाई जाए। वहीं, सीबीआई के वकील ने कहा कि दोषी पेशेवर अपराधी है। सीबीआई के वकील ने इस संबंध में निर्भया केस का जिक्र किया और कहा कि दोषी को फांसी की सजा सुनाई जाए। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि दोषी की मां उस पर निर्भर है। जबकि सीबीआई के वकील ने कहा कि दोषी के दो और भाई हैं। वह मां की देखभाल कर सकते हैं। अब 18 जून को दोनों पक्षों को कोर्ट में बुलाया गया है। 

शिमला जिले के कोटखाई के महासू स्कूल की दसवीं की छात्रा 4 जुलाई 2017 को स्कूल से आने के बाद अचानक लापता हो गई थी। दो दिन बाद 6 जुलाई को उसकी लाश दांदी के जंगल में नग्न अवस्था में मिली थी। फॉरेंसिक रिपोर्ट में छात्रा के साथ रेप के बाद हत्या की बात सामने आई थी। शुरूआत में शिमला पुलिस ने इसकी जांच की थी। गैंगरेप की धाराओं में मामला दर्ज किया था और पांच आरोपी भी गिरफ्तार किए थे। एसआईटी जांच से जनता संतुष्ट नहीं थी और सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। ये पांचों आरोपी बाद में बेल पर छोड़ दिए गए थे और सीबीआई की ओर से एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। 

18 जुलाई 2017 को कोटखाई थाने में एक आरोपी की संदिग्ध मौत के बाद जनाक्रोश भड़का और कई स्थानों पर उग्र प्रदर्शन हुए। कोटखाई थाना जला दिया गया था। केंद्र की ओर से सीबीआई जांच को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। इस बीच प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ते देख सरकार सीबीआई जांच को लेकर हाई कोर्ट गई और हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश जारी किए थे। सीबीआई ने इस मामले में 13 अप्रैल 2018 को एक नीलू नामक एक चिरानी को गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ जुलाई 2018 में कोर्ट में चालान पेश किया था। 28 अप्रैल 2021 को आरोपी नीलू को दोषी करार दिया गया था।
 

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