जानिए क्यों विश्व धरोहर बनने पर भी विकसित नहीं हुआ ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क

Edited By Vijay, Updated: 16 Nov, 2018 04:49 PM

great himalayan national park did not develop even becoming world heritage

जिला का ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क विश्व धरोहर में शामिल होने के बावजूद विकसित नहीं हो सका है। देशभर की विश्व धरोहरों ताजमहल, एलौरा, काजीरंगा नैशनल पार्क, मानस नैशनल पार्क, सुंदर वन, नंदा देवी वायोस्फ ीयर रिजर्व, कियोलादियो नैशनल पार्क के बाद इस सूची...

सैंज: जिला का ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क विश्व धरोहर में शामिल होने के बावजूद विकसित नहीं हो सका है। देशभर की विश्व धरोहरों ताजमहल, एलौरा, काजीरंगा नैशनल पार्क, मानस नैशनल पार्क, सुंदर वन, नंदा देवी वायोस्फ ीयर रिजर्व, कियोलादियो नैशनल पार्क के बाद इस सूची में कुल्लू का ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क भी शुमार हो चुका है। पार्क क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं लेकिन सरकार की उपेक्षा के चलते इस क्षेत्र में पर्यटन विकसित नहीं हो सका है।

अगस्त, 2014 में मिला है विश्व धरोहर का दर्जा
ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क का बहुत बड़ा हिसा सैंज तथा तीर्थन घाटी के तहत आता है। हालांकि इस पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा अगस्त, 2014 में मिल चुका है। 4 साल बीत जाने के बाद भी यहां पर्यटन अथवा अन्य विकासात्मक गतिविधियां जस की तस बनी हुई हैं। विश्व धरोहर में शामिल होने पर प्रदेश सरकार ने भी यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलने की बात कही थी लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ होता नजर नहीं आ रहा है। यहां ग्रीष्मकालीन पर्यटन को बढ़ावा देकर अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है जिससे बेरोजगारी की समस्या को भी कम किया जा सकता है।

सरकार की मेहरबानी जरूरी
घाटी में ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क क्षेत्र का प्राकृ तिक सौंदर्य मददगार साबित हो सकता है लेकिन इसके लिए सरकार मेहरबान हो तभी पर्यटन व्यवसाय को बल मिल सकता है। पार्क क्षेत्र में वन संपदा का संवद्र्धन किया जा रहा है इसके साथ-साथ यहां अनेक पर्यटन स्थल प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाए हुए हैं।

कई स्थानों को लेकर उम्मीद
घने जंगलों के बीचों बीच शांघड़ का विशाल मैदान सैलानियों को आकर्षित कर सकता है। इस मैदान पर सरकार मेहरबान हो जाए तो यह घाटी में पर्यटन के लिए मील का पत्थर बन सकता है। प्राकृ तिक सौंदर्य से लबालब घाटी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने की आवश्यकता है। सैंज घाटी में अनेक धार्मिक स्थल हैं जो धार्मिक पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। शैंशर में मनु महाराज का भव्य मंदिर, रैला की प्राचीनकालीन धलियारा कोठी तथा देहूरी में दुर्गा माता का मंदिर पर्यटकों के पंसदीदा स्थल बन सकते हैं।

कई पर्यटन स्थल अभी भी सड़क सुविधा से महरूम
हालांकि पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए राजनेताओं द्वारा घोषणाओं की कमी नहीं रही है तथा पर्यटन विभाग ने योजनाएं भी बनाई लेकिन उन पर अमलीजामा पहनाने में नाकाम ही रहा है। घाटी में अनेक पर्यटन स्थल होने के चलते यहां के युवा अपना भविष्य पर्यटन व्यवसाय में तो देख रहे हैं लेकिन पर्यटन को विकसित करने में सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए। जय ठाकुर, हरभजन सिंह, दिलीप, पवन कुमार, सुमित भट्टी, पूर्ण चंद व लीलाधर का कहना है कि इंटरनैट के बढ़ते उपयोग से पर्यटन व्यवसाय में आसानी से अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है लेकिन सरकार की दिलचस्पी न होने के कारण पर्यटन व्यवसाय विकसित नहीं हो सकता। घाटी को प्राकृ तिक सुंदरता में अपना योगदान दे रहे भलाण, शाक्टी, मरौड़ व बूंगा जैसे अनेक अनछुए पर्यटक स्थल सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। 

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