50 हजार करोड़ से अधिक का कर्जदार हुआ हिमाचल, नए साल में इतना कर्ज लेगी सरकार

Edited By Vijay, Updated: 05 Jan, 2019 10:32 PM

government will take many crore of loan in the new year

वर्ष 2019 में प्रवेश करते ही हिमाचल प्रदेश पर 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज चढ़ जाएगा। राज्य सरकार ने नए साल के पहले ही सप्ताह में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास 500 करोड़ रुपए कर्ज लेने के लिए आवेदन किया है। इससे पहले सरकार ने बीते वर्ष नवम्बर...

शिमला: वर्ष 2019 में प्रवेश करते ही हिमाचल प्रदेश पर 50,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज चढ़ जाएगा। राज्य सरकार ने नए साल के पहले ही सप्ताह में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास 500 करोड़ रुपए कर्ज लेने के लिए आवेदन किया है। इससे पहले सरकार ने बीते वर्ष नवम्बर माह में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। यानी नए साल में 9 जनवरी को जैसे ही प्रदेश के खाते में 500 करोड़ रुपए की राशि चढ़ेगी तो उस समय प्रदेश पर कर्ज 50,473 करोड़ रुपए हो जाएगा। सरकार ने कर्ज लेने का कारण विकास कार्य के लिए धन की आवश्यकता बताया है। यह कर्ज संविधान की धारा 293 (3) के तहत लिया जाएगा।

पहले 49,973 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है सरकार

उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार 49,973 करोड़ रु पए का कर्ज ले चुकी है और अब 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज लेने से यह आंकड़ा 50,473 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। सरकार की तरफ से लगातार कर्ज लेने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी खराब हो रही है, जिससे आगामी एक दशक के दौरान 55 फीसदी से अधिक कर्जों का भुगतान करने की नौबत आ गई है। इस स्थिति में सरकार को कर्ज लौटाने के लिए भी कर्ज उठाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। राज्य में बीते 5 साल की अवधि के दौरान प्रदेश में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ भी 50 फीसदी बढ़ा है। इससे प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ 65,444 रुपए से अधिक पहुंच गया है। इस तरह सरकार को 3,096 करोड़ रुपए कर्ज का भुगतान आगामी वित्त वर्ष में करना है।

लगातार कर्ज लेने पर बिफरी कांग्रेस

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री ने लगातार लिए जा रहे कर्जों के लिए सरकार की ङ्क्षनदा की है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार केंद्र से हजारों करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट स्वीकृत होने का दावा कर रही है और दूसरी तरफ वही सरकार विकास कार्य के नाम पर कर्ज उठा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार की कथनी और करनी में अंतर है तथा वित्तीय कुप्रबंधन के चलते प्रदेश को कर्ज में डुबोया जा रहा है।

 

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