बिजली बोर्ड का विघटन करने की तैयारी में सरकार!

Edited By Ekta, Updated: 10 Sep, 2018 09:59 AM

government to prepare to disintegrate power board

हिमाचल सरकार बिजली बोर्ड का विघटन करने की योजना बना रही है। राज्य सरकार 66 के.वी. या इससे अधिक की संचार लाइनों व विद्युत उपकेंद्रों को ऊर्जा संचार निगम को सौंप सकती है। प्रथम चरण में उच्च वोल्टेज के 12 उपकेंद्र (220 के.वी.) कुनिहार, गिरिपार, जसूर,...

शिमला: हिमाचल सरकार बिजली बोर्ड का विघटन करने की योजना बना रही है। राज्य सरकार 66 के.वी. या इससे अधिक की संचार लाइनों व विद्युत उपकेंद्रों को ऊर्जा संचार निगम को सौंप सकती है। प्रथम चरण में उच्च वोल्टेज के 12 उपकेंद्र (220 के.वी.) कुनिहार, गिरिपार, जसूर, हमीरपुर, बद्दी, अम्ब, कांगू, नंगल, कालाअम्ब व अणु तथा 66 के.वी. का संसारपुर टैरेस गोलथाई शामिल है। राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी महासंघ ने अभी से इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। इस प्रस्ताव को रद्द न करने की सूरत में कर्मचारियों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने की भी चेतावनी दे डाली है।

कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने बताया कि साल 2010 में जब बिजली बोर्ड का विघटन किया गया था तो उस दौरान सरकार ने यूनियन के दबाव में एक डॉक्यूमैंट साइन किया था जिसके तहत भविष्य में बिजली बोर्ड का विघटन नहीं किया जा सकता फिर भी मौजूदा सरकार 6,000 करोड़ रुपए की संपत्ति वाले बिजली बोर्ड के विघटन की योजना बना रही है। करीब 1400 करोड़ रुपए की संपत्ति संचार निगम और 2700 करोड़ रुपए की संपत्ति एच.पी.पी.सी.एल. को देना प्रस्तावित है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि इस तरह के प्रस्ताव पर रोक लगाई जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो कर्मचारियों को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। 

कुलदीप सिंह खरवाड़ा व महासचिव हीरा लाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड के पुनर्गठन के समय सभी उच्च वोल्टेज की अंतर्राज्यीय लाइनों को पहले ही ऊर्जा संचार निगम को हस्तांतरित किया जा चुका है। राज्य की विद्युत वितरण प्रणाली से जुड़ी सभी उच्च वोल्टेज की प्रणाली को विद्युत उपभोक्ताओं को बेहतर व सुचारू विद्युत आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए बिजली बोर्ड के पास ही रखा गया था। यदि इस संचार प्रणाली को बोर्ड से अलग किया जाता है तो इसका सीधा-सीधा असर विद्युत उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इससे बिजली दरों में भी बढ़ौतरी होगी। वहीं आपसी तालमेल प्रभावित होने से विद्युत आपूर्ति पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से 23,000 पैंशनर्ज की सामाजिक सुरक्षा भी खतरे में पड़ेगी। महासंघ ने इस प्रस्ताव का कड़ा संज्ञान लेते हुए राज्य पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है, जिसमें संघर्ष की रणनीति बनाई जाएगी।

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