शिक्षकों को RTE एक्ट के दायरे में लाएगी सरकार

Edited By Ekta, Updated: 06 Apr, 2018 09:34 AM

government to bring teacher with in the rte act

प्राथमिक शिक्षा में स्कूलों की बढ़ती संख्या के बावजूद लगातार विद्यार्थियों की घटती संख्या एवं गिरते स्तर को देखते हुए राज्य सरकार अब शिक्षकों को आर.टी.ई. एक्ट के दायरे में लाएगी। प्रदेश में अभी तक सिर्फ बच्चों को शिक्षा का अधिकार से जोड़ा गया है...

शिमला (राक्टा): प्राथमिक शिक्षा में स्कूलों की बढ़ती संख्या के बावजूद लगातार विद्यार्थियों की घटती संख्या एवं गिरते स्तर को देखते हुए राज्य सरकार अब शिक्षकों को आर.टी.ई. एक्ट के दायरे में लाएगी। प्रदेश में अभी तक सिर्फ बच्चों को शिक्षा का अधिकार से जोड़ा गया है लेकिन शिक्षकों की ड्यूटी कैसी हो, यह प्रदेश में लागू नहीं हुआ। वीरवार को विधानसभा सदन में विधायक सुखराम चौधरी, इंद्र सिंह और बिक्रम जरियाल द्वारा प्रस्तुत संकल्प प्रस्ताव के जवाब में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने यह जानकारी दी। उक्त विधायकों ने सरकारी स्कूलों में बच्चों की कम हो रही संख्या पर नीति लाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। जवाब में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की ड्यूटी अब आर.टी.ई. एक्ट के तहत लागू की जाएगी। 


उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में भारी गिरावट आई है। इसका एक मुख्य कारण लर्निंग कान्सेप्ट पर ध्यान नहीं दिया जाना भी है। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश के लोगों की अर्थव्यवस्था बेहतर होने के चलते अधिकांश लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। प्रदेश सरकार बच्चों की संख्या को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाएगी। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में होने वाली मॉर्निंग असैंबली में बच्चों के अभिभावकों को शामिल करेंगे ताकि उनके सुझाव भी लिए जा सकें। 


शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि उनके पास शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सुझाव देने वाले कम और ट्रांसफर के लिए ज्यादा आते हैं। उन्होंने कहा कि सुबह 6 बजे देखें तो ट्रांसफर वाले तो रात 10 बजे देखें तो भी ट्रांसफर वाले ही नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे ट्रांसफर मंत्री नहीं बनना चाहते। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर नीति बने या न बने लेकिन शिक्षा के मामले में हिमाचल को केरल से आगे लाना लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि डाईट भी शिक्षकों के एडजस्टमैंट के केंद्र बनकर रह गए हैं। 


5,057 स्कूलों में लगेंगी बायोमीट्रिक
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पहले चरण में प्रदेश के 5057 प्राइमरी स्कूलों में बायोमीट्रिक मशीनें लगाई जाएंगी ताकि संबंधित स्कूल में ड्यूटी दे रहे अध्यापक दिन में 2 बार हाजिरी लगा सकें। इससे अध्यापकों द्वारा मारे जाने वाले बंक पर भी लगाम कसेगी। इस प्रस्ताव पर प्राइवेट मैंबर डे के तहत 8 विधायकों ने चर्चा में भाग लिया। इस दौरान विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि प्रदेश में 10,722 प्राइमरी स्कूल सरकारी क्षेत्र में हैं और 3 लाख 2 हजार बच्चे हैं जबकि प्रदेश में 3 हजार निजी स्कूल हैं, जहां बच्चों की संख्या 2 लाख 67 हजार से अधिक है। 


उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों में सरकारी स्कूलों से 78 हजार बच्चे कम हुए। उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में हर साल हो रही कटौती को बढ़ाने के लिए ठोस नीति लाई जाए। विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी स्कूलों में भी प्री-नर्सरी सिस्टम हो ताकि बच्चों की निजी स्कूलों की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई हो सके। विधायक रमेश धवाला ने प्राइमरी स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं शुरू करने का सुझाव दिया। उन्होंने आंगनबाड़ी वर्कर की देखरेख में ये क्लासें शुरू करने की बात कही।

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