सरकार का कड़ा संज्ञान, अब कर्मचारियों को ड्यूटी से बंक मारना पड़ेगा महंगा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 24 Dec, 2017 10:43 AM

government strict cognition

हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने ड्यूटी से नदारद रहने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य सचिव ने नई सरकार के गठन से पहले ही सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दे दिए हैं कि यदि कोई कर्मचारी ड्यूटी से बंक मारता है तो उसके...

शिमला: हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने ड्यूटी से नदारद रहने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य सचिव ने नई सरकार के गठन से पहले ही सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दे दिए हैं कि यदि कोई कर्मचारी ड्यूटी से बंक मारता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। खासकर दूरदराज के दुर्गम एवं पिछड़ा क्षेत्रों में सरकारी मुलाजिमों की ड्यूटी के वक्त अनुपस्थिति बर्दाश्त न करने को कहा गया है क्योंकि सरकारी मुलाजिमों के दफ्तरों से गायब रहने के कारण हजारों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 


प्रदेश में 58 सरकारी विभाग, 20 निगम समेत 11 बोर्ड हैं। इनमें करीब अढ़ाई लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। इनके अलावा मिड-डे मील वर्कर, ग्राम रोजगार सेवक तथा विभिन्न विभागों में आऊटसोर्स के तहत भी सैंकड़ों कर्मचारी हैं लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा, राजस्व, लोक निर्माण विभाग, आई.पी.एच., पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास जैसे प्रमुख विभागों के अधिकारी-कर्मचारी अमूमन ड्यूटी से नदारत रहते हैं। इससे लोगों को एक दिन के काम के लिए कई-कई बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। इस पर उच्च न्यायालय ने भी संज्ञान लिया है। 


ये देखते हुए अब सरकार ने सभी कर्मचारियों को ड्यूटी आवर्ज में दफ्तर में अपना काम करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में बीते 12 अक्तूबर को जब से विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी की गई है, उसके बाद से तो ज्यादातर दफ्तर खाली पड़े हैं। खासकर जिन विभागों में बॉयोमीट्रिक मशीनें नहीं हैं, वहां के अधिकारी एवं कर्मचारी ड्यूटी से ज्यादा बंक मारते हैं लेकिन अब ऐसा चलने वाला नहीं है। सरकार के निर्देशों का अमल करते हुए लोक निर्माण विभाग ने भी सभी चीफ इंजीनियर को इसे लेकर आदेश जारी कर दिए हैं। विभागाध्यक्ष को इसकी निगरानी रखने को कहा गया है। इसके लिए विभागाध्यक्ष को औचक निरीक्षण करना होगा। 


उल्लेखनीय है कि दूरदराज के क्षेत्रों में पटवारी, पंचायतों में सचिव, तकनीकी सहायक व ग्राम रोजगार सेवक, विभिन्न दफ्तरों में बाबुओं से मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस कारण लोगों के काम कई दिनों तक लटक जाते हैं। विभिन्न सरकारी योजनाएं भी इस वजह से लटकी रहती हैं। यहां तक कि जो जानकारियां विभिन्न विभागाध्यक्ष मांगते हैं वे भी समय पर मुख्यालय को नहीं मिल पाती हैं। 

 
 

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