खेल नीति पर विचार करे सरकार, राजनेताओं के कब्जे से मुक्त हों खेल संघ : राणा

Edited By kirti, Updated: 05 Mar, 2020 05:05 PM

government should consider sports policy

कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि प्रदेश सरकार हरियाणा की तर्ज पर खेल के मूलभूत ढांचे को विकसित करे ताकि प्रदेश की खेल प्रतिभाएं देश और दुनिया में पहाड़ के फौलादी हौंसलों का परिचय दे सके। उन्होंने बताया कि उन्होंने 5...

 

हमीरपुर: कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि प्रदेश सरकार हरियाणा की तर्ज पर खेल के मूलभूत ढांचे को विकसित करे ताकि प्रदेश की खेल प्रतिभाएं देश और दुनिया में पहाड़ के फौलादी हौंसलों का परिचय दे सके। उन्होंने बताया कि उन्होंने 5 मार्च को विधानसभा सदन में प्राईवेट मेंबर डे गैर सदस्य संकल्प पर बोलते हुए प्रदेश सरकार से सिफारिश की है कि खेल संघों को राजनीतिक कब्जे से मुक्त किया जाए व सरकार प्रदेश खेल नीति पर विचार करके खेलों को प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम बढ़ाए। उन्होंने गैर सदस्य संकल्प पर बोलते हुए कहा कि यह खेल और खिलाडिय़ों का दुर्भाग्य है कि राजनीतिक लाभ के लिए खेल संघों पर राजनीतिक लोगों ने कब्जा करके रखा है।

नतीजन प्रदेश में खेल लगातार प्रभावित होकर पिछड़ रहा है। खेल प्रतिभाएं कुंठित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति अपनी खेल योग्यता के आधार पर तो किसी खेल संघ का अध्यक्ष बन सकता है लेकिन महज राजनीतिक लाभ के लिए खेल संघों का अध्यक्ष बनना प्रदेश के खेल ढांचे के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अंतराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाओं का ढांचा बनकर तैयार है लेकिन इसके सही रखरखाव व बेहतर खेल प्रशिक्षण न होने के कारण खेलों का स्तर अपनी वह ऊंचाईयां नहीं ले पा रहा है जिसकी योग्यता व क्षमता प्रदेश के खिलाडिय़ों में मौजूद है। विधानसभा में बोलते हुए राणा ने कहा कि प्रदेश में बेहतर खेल प्रशिक्षकों की कमी भी इसका एक कारण है।

उन्होंने कहा कि खेल प्रशिक्षकों की भर्ती पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात की तर्ज पर हो और भर्ती के समय क्षमतावान खेल प्रशिक्षकों से एग्रीमेंट किया जाए कि वह राष्ट्रीय स्तर पर रिजल्ट ऑरिएंटड प्रर्फोमेंस देने के लिए अनुबंधित हुए हैं। खेल छात्रावासों में सिर्फ एक कोच होने के कारण अगर उस कोच को अवकाश पर जाना पड़ता है तो तमाम कोचिंग रूटीन ही प्रभावित हो जाती है। इसलिए हर खेल छात्रावास में दो प्रशिक्षकों का होना सरकार सुनिश्चित करे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बिलासपुर के लिए मोरसिंघी में निजी क्षेत्र में हैंडबाल अकादमी के प्रयासों को भी सरकार को प्रोत्साहित करने की जरुरत है क्योंकि इस अकादमी के स्कूल व यूनिवर्सिटी या नेशनल ओपन में राष्ट्रीय स्तर पर जो रिजल्ट आए हैं वह इस हैंड बॉल अकादमी की ईमानदार मेहनत का प्रमाण है।

ऐसी अकादमियों को सरकारी ग्रांट मिलना खेल के प्रति न्यायसंगत रहेगा। इसके अलावा अगर कोई खिलाड़ी व्यक्तिगत तौर पर राष्ट्रीय स्पर्धाओं में मेडल हासिल करता है तो उसको भी सरकार की तरफ से वजीफा मिलना वाजिब है। आलम यह है कि राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश में बने खेल ढांचे के रखरखाव के लिए न तो ग्राउंड मैन की भर्ती हो रही है और न ही चौकीदार रखे जा रहे हैं जिस कारण से रखरखाव के अभाव खेल ढांचा लगातार खराब हो रहा है। इसके अलावा प्रदेश के आधे-अधूरे खेल परिसरों को सरकार तत्काल प्रभाव से पूरा करे। राणा ने कहा कि वह प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की क्षमता को देखते हुए विश्वास के साथ कह सकते हैं कि अगर सरकार खेल नीति पर विचार करे तो प्रदेश के खिलाड़ी देश और दुनिया में राज्य का नाम नं. 1 पर ला सकते हैं।

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