बिजली बोर्ड में इंजीनियरों की फौज पर चल सकती है सरकार की कैंची, पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 11 Jul, 2018 10:59 PM

government scissors can run on army of engineers in electricity board

राज्य बिजली बोर्ड में इंजीनियरों की बढ़ती फौज पर सरकार कैंची चलाने की सोच रही है। ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने सचिव से रिपोर्ट तलब की है। इसमें ऊर्जा सचिव को यह पता लगाने को कहा गया है कि बिजली बोर्ड में इंजीनियरों के कितने गैर-जरूरी पद हैं, जिनका...

शिमला: राज्य बिजली बोर्ड में इंजीनियरों की बढ़ती फौज पर सरकार कैंची चलाने की सोच रही है। ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने सचिव से रिपोर्ट तलब की है। इसमें ऊर्जा सचिव को यह पता लगाने को कहा गया है कि बिजली बोर्ड में इंजीनियरों के कितने गैर-जरूरी पद हैं, जिनका सरकार युक्तिकरण कर सकती है। सचिव की रिपोर्ट के आधार पर सरकार फिजूलखर्ची रोकने के मकसद से निदेशक सिविल समेत इंजीनियरों के कई पदों का युक्तिकरण कर सकती है।


3 भागों में विभाजित किया विद्युत बोर्ड
जून 2010 में बिजली कानून 2003 में संशोधन करके विद्युत बोर्ड को 3 भागों में विभाजित किया गया। ट्रांसमिशन कार्पोरेशन को संचार का काम, पावर कार्पाेरेशन को प्रोजैक्ट बनाने का जिम्मा तथा विद्युत बोर्ड को बिजली के वितरण का काम सौंपा गया। यहां सवाल उठता है कि जब प्रोजैक्ट बनाने का काम कार्पोरेशन को दिया गया तो बोर्ड में इंजीनियरों की इतनी लंबी फौज क्यों तैनात है? इंजीनियरों की जरूरत पावर कार्पोरेशन तथा ट्रांसमिशन कार्पोरेशन को है।


सरकार और बोर्ड प्रबंधन के सामने कई बार उठा मुद्दा
विद्युत कर्मचारी भी इस मुद्दे को कई बार सरकार और बोर्ड प्रबंधन के सामने उठाते रहे हैं। अब जाकर सरकार ने इस पर कार्रवाई के मकसद से रिपोर्ट मांगी है। बिजली बोर्ड पहले ही कई करोड़ों के घाटे में चल रहा है। ऐसे में इंजीनियरों की फौज बोर्ड को और अधिक कर्जदार बना रही है। बताया जा रहा है कि ऊर्जा सचिव इंजीनियरों की फौज को लेकर फाइल तैयार कर चुके हैं। सरकार कभी भी सरप्लस पदों का युक्तिकरण कर सकती है।


1971 में थे 2 ही चीफ इंजीनियर
बताया जा रहा है कि बिजली बोर्ड के विघटन के बाद यहां इंजीनियरों के बहुत से ऐसे पद हैं, जिनकी बोर्ड में कोई जरूरत नहीं रह गई। वर्ष 1971 में जब बिजली बोर्ड बना था तोचीफ इंजीनियर के 2 ही पद थे। अब चीफ इंजीनियर इलैक्ट्रिकल 14 तथाचीफ इंजीनियर सिविल 10 हो गए हैं। इसी तरह अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता, कनिष्ठ अभियंता की फेहरिस्त भी लंबी हो गई है। इसके विपरीत धरातल पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या आधी से भी कम हो गई है।


निदेशक सिविल का पद भी हो सकता है समाप्त
बिजली बोर्ड में निदेशक सिविल का पद स्वीकृत है। इनके पास प्रोजैक्ट निर्माण का काम है। बताया जा रहा है कि निदेशक सिविल के पास अभी ऊहल परियोजना को छोड़कर दूसरा प्रोजैक्ट नहीं है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में इन्हें 5 प्रोजैक्ट दिए गए थे। इन पर अब तक काम शुरू नहीं हो पाया। इसी तरह से कई और अभियंता भी बोर्ड में बैठे हुए हैं।


क्या कहते हैं ऊर्जा मंत्री
ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने बताया कि  बिजली बोर्ड में इंजीनियरों की फौज बहुत ज्यादा हो चुकी है। इनकी जरूरत कार्पोरेशन में है। यह देखते हुए सचिव से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर सरकार ऐसे सभी गैर जरूरी पदों का युक्तिकरण करेगी।

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