Edited By Simpy Khanna, Updated: 24 Oct, 2019 01:02 PM
बेहतर शिक्षा दिलाने के सरकार द्वारा कई दावे किए जाते हैं परंतु अगर देखा जाए तो जमीनी स्तर पर ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इसका जीता- जागता उदाहरण शिक्षा खंड सलूणी के तहत आती माध्यमिक पाठशाला खांगू है, जहां सरकार के दावों की पोल खुलकर सामने आ रही...
डियूर (चुनी लाल): बेहतर शिक्षा दिलाने के सरकार द्वारा कई दावे किए जाते हैं परंतु अगर देखा जाए तो जमीनी स्तर पर ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इसका जीता- जागता उदाहरण शिक्षा खंड सलूणी के तहत आती माध्यमिक पाठशाला खांगू है, जहां सरकार के दावों की पोल खुलकर सामने आ रही है क्योंकि जिस स्कूल में कम से कम आधा दर्जन अध्यापक होने चाहिए उस स्कूल में पिछले 3 वर्षों से केवल एक ही अध्यापक तैनात है। परिणामस्वरूप स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों की शिक्षा पर पूरी तरह से ग्रहण लग चुका है।
जानकारी के अनुसार उक्त स्कूल में अध्यापकों के स्वीकृत कुल पद 5 तो हैं मगर भरा हुआ एकमात्र बी.एससी. का ही है और शास्त्री, टी.जी.टी., जी.टी. आर्ट्स, डी.एम. तथा पी.टी.आई. के पद खाली होने की वजह से एक ही अध्यापक को स्कूल के सारे कार्य देखने पड़ रहे हैं तथा उसके लिए सभी विषय कवर करना बहुत मुश्किल है। उस वजह से उक्त स्कूल केवल नाममात्र का स्कूल बनकर रह गया है और स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे 17 बच्चों की शिक्षा पर पूरी तरह ग्रहण लग चुका है जो शिक्षा विभाग और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल या निशान खड़े कर रहा है।
सरकार, प्रशासन व विधायक कोई नहीं कर रहा सुनवाई
स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जीत सिंह का कहना है कि यह बात सत्य है कि उक्त स्कूल में पिछले 3 वर्षों से केवल एक ही अध्यापक तैनात है और स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसलिए विभाग तथा सरकार को इस ओर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। कई बार शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को प्रस्ताव सौंपे जा चुके हैं तथा स्थानीय विधायक से भी मांग की जा चुकी है परंतु किसी ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है।