सरकार के अधिकारी सरकार पर ही भारी, कैसे घर आए बाहर फंसी जनता बेचारी

Edited By Vijay, Updated: 02 May, 2020 10:32 PM

government officials are heavy on government

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य से बाहर फंसे हुए लोगों को घर वापसी के लिए बेशक ई-पास सुविधा देकर कुछ हद तक लोगों की परेशानी को समाप्त किया गया हो लेकिन अभी भी बहुत सारे गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों से संबंधित लोग देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए...

ज्वालामुखी (नितेश): हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य से बाहर फंसे हुए लोगों को घर वापसी के लिए बेशक ई-पास सुविधा देकर कुछ हद तक लोगों की परेशानी को समाप्त किया गया हो लेकिन अभी भी बहुत सारे गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों से संबंधित लोग देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं। अपेक्षा की जा सकती है कि इनमें से ज्यादातर वही लोग हैं, जिनके पास घर वापसी के लिए अपने वाहन नही हैं या फिर टैक्सियों का भारी-भरकम किराया देने के लिए उनकी पहुंच नहीं है।
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अधिकतर अधिकारियों ने फोन किए स्विच ऑफ या कॉल डायवर्ट

हालांकि पिछले कल ही केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए लोगों को उनके घर पहुंचाने के लिए राज्यों को राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए थे परंतु सरकार द्वारा नोडल अधिकारियों के नाम व फोन नम्बर जारी करने के बाद भी सरकार की ये पहल आम लोगों के लिए किसी बड़े मजाक से ज्यादा नहीं है। बताते चलें कि पिछले कल से ही  हिमाचल सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद जिला प्रसाशन ने नोडल अधिकारियों की सूची सोशल मीडिया पर डाल दी थी, जिसके बाद कई लोगों ने इन नंबरों पर सम्पर्क करना चाहा हो तो किसी अधिकारी का फोन स्विच ऑफ तो किसी अधिकारी का फोन व्यस्त तथा कई फोनों पर ये आवाज सुनने को मिल रही है कि जिस नंबर पर आप कॉल कर रहे हैं वह कॉल दूसरे नम्बर पर डायवर्ट कर दी गई है।
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बाहर फंसे लोगों में पनप रही निराशा

दुखद ये है कि इस स्तिथि में अपने प्रदेश के भीतर आने हेतु लोगों के लिए कोई दूसरा नम्बर उपलब्ध नहीं करवाया गया है, जिसके कारण लोग अपने-अपने जिलों से संबंधित पुलिस अधिकारियों या जिला उपायुक्तों को सोशल मीडिया पर ही कमैंट करके मदद की गुहार लगा रहे हैं। लोग मुश्किल में है तथा अधिकारियों के फोन न उठाने के कारण बाहर फंसे लोगों में निराशा पनपती जा रही है। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में एस.पी. विमुक्त रंजन द्वारा सरकार द्वारा निर्धारित नोडल अधिकारियों की सूची की सोशल मीडिया पर पोस्ट ये कहकर डाली गई है कि हिमाचल के भीतर आने वाले या हिमाचल से बाहर जाने वाले लोग सरकार द्वारा देश के हर राज्य में तैनात किए गए नोडल अधिकारियों से सम्पर्क कर सकते हैं।

10 में से एक या दो अधिकारियों से हो रहा संपर्क

पंजाब केसरी ने अपनी पड़ताल में पाया कि पुलिस अधीक्षक कांगड़ा के फेसबुक अकाऊंट पर ही दर्जनों लोगों ने ये कहकर अपनी बात रखी है कि ज्यादातर अधिकारियों के फोन स्विच ऑफ आ रहे हैं। अत: 10 में से जिन एक या दो अधिकारियों से लोगों का सम्पर्क हो रहा है वहां से भी कोविड ई-पास के लिए आवेदन करने की बात कही जा रही है। मजेदार बात ये है कि कोविड ई-पास का आवेदन करने के बाद भी लोगों को यही जवाब मिल रहा है कि ये सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों से जुड़े हुए बाहरी राज्यों में फंसे लोगों के लिए निराशा से बढ़कर कुछ हाथ नहीं लग रहा है।

लोगों ने डीसी कांगड़ा के फेसबुक अकाऊंट पर लगाई मदद की गुहार

ज्वालामुखी की नजदीकी पंचायत टिहरी के रिंकू चौधरी ने बताया कि उसके बड़े भाई, भाभी तथा 1 छोटा बच्चा लुधियाना में फंसे हुए हैं। अपना वाहन न होने के कारण वे अपने घर के लिए नहीं निकल पा रहे हैं। इस समय में टैक्सियों का किराया भी नियमित किराए से दो या तीन गुना ज्यादा मांगा जा रहा है। शुक्रवार शाम से ही सरकार द्वारा बताए गए आईएएस नोडल अधिकारी ललित जैन को फोन लगा रहे हैं। शनिवार को भी लगातार 4-5 घंटे कोशिश करने के बाद भी यही जबाब मिल रहा है कि कॉल डायवर्ट कर दी गई है। पुलिस अधीक्षक कांगड़ा के फेसबुक अकाऊंट पर ही बहुत सारे अन्य लोगों ने भी ऐसी ही परिस्थिति होने का दावा करते हुए मदद की गुहार लगाई है परंतु किसी भी तरफ से इन लोगों को कोई आशा की किरण नहीं दिखाई दे रही है। लोग अधिकारियों से ही मांग उठा रहे हैं कि इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाकर जल्दी से जल्दी उनकी सहायता करें ताकि वे अपने घर पहुंच सकें।

बहन को राजस्थान से लाने की लगाई गुहार

जिला कांगड़ा से ही संबंधित एक अन्य व्यक्ति ने एसपी कांगड़ा से सहायता की गुहार लगाई है कि उसकी बहन राजस्थान में है और वह एक विद्यार्थी है तथा इस अवस्था में उनकी सहायता की जाए। लोगों में उम्मीद थी कि जिस तरह से प्रदेश के भीतर फंसे हुए बाहरी राज्यों के लोगों को परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाकर बाहर भेजा जा रहा है, उसी प्रकार इन नोडल अधिकारियों को सरकार द्वारा नियुक्त करने के बाद उन्हें बाहरी राज्यों से अपने घरों को जाने के लिए सरकार द्वारा व्यवस्था बनाई जाएगी परन्तु अभी तक ऐसा होता दिख नहीं रहा है।

क्या बोले डीसी कांगड़ा

जिलाधीश कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति ने इस मामले को लेकर पंजाब केसरी को बताया कि ये मामला उनके संज्ञान में है। जिलाभर से इस तरह की समस्या के बारे में लोगों ने उन्हें अवगत करवाया है। जिला प्रसाशन की तरफ से ये मामला प्रदेश सरकार के समक्ष रखा है। उम्मीद है जल्द ही समाधान निकलेगा।

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