Edited By Simpy Khanna, Updated: 14 Jan, 2020 02:31 PM
सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि जुमलेबाजों की सरकार मुद्दों से भटक चुकी है। पहले ही सरकारी उपक्रमों को बेचने वाली सरकार अब 100 रेल रूटों का निजीकरण कर 150 प्राइवेट ट्रेनें चलाने की तैयारी कर चुकी है जिससे साफ हो गया है कि इस सरकार ने...
हमीरपुर : सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि जुमलेबाजों की सरकार मुद्दों से भटक चुकी है। पहले ही सरकारी उपक्रमों को बेचने वाली सरकार अब 100 रेल रूटों का निजीकरण कर 150 प्राइवेट ट्रेनें चलाने की तैयारी कर चुकी है जिससे साफ हो गया है कि इस सरकार ने देश को आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा क्षति पहुंचाई है और अब अपने गलत फैसलों पर पर्दा डालने के लिए देश को गुलाम करने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि नैशनल हाइवे व फोरलेन निर्माण के कार्य पहले ही आधे-अधूरे पड़े हैं। देश में जबरदस्त आर्थिक सुस्ती छाई हुई है। 1.76 लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लेने वाली सरकार अब 45 हजार करोड़ रुपए और लेने की तैयारी कर रही है। वर्तमान में सरकार के राजस्व में 19.6 लाख करोड़ रुपए की कमी चली हुई है। ऐसे हालातों में निजीकरण का रास्ता अख्तियार कर सरकार देश को बहुत बड़ी हानी पहुंचाने जा रही है जिसका जनहित में कांग्रेस पार्टी हर स्तर पर विरोध करेगी।
राजेंद्र राणा ने कहा कि जनता के पैसे से बनाई गई सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में सौंपना देश की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है। उन्होंने कहा कि सरकारी खजाने को लुटाकर व बैंकों को खाली कर सरकार चंद 4-5 चहेते उद्योगपतियों की जेबें भरने में लगी हुई है। उन्होंने सवाल किया कि डेढ़ सौ प्राइवेट ट्रेनें चलाने का निर्णय आखिर क्यों लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे गलत निर्णय ब्रिटेन, अर्जेटीना, न्यूजीलैंड व आस्ट्रेलिया जैसे समृद्ध देश भी ले चुके हैं लेकिन उनके लिए जब निजीकरण घाटे का सौदा साबित हुआ तो इन देशों को अपना फैसला पलटना पड़ा और दोबारा इस सुविधा का राष्ट्रीयकरण किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने उद्देश्य से पूरी तरह भटक चुकी है तथा हड़बड़ाहट में ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम लाकर जनता को परेशान करने का मसौदा तैयार किया, जिसका खमियाजा सदियों तक जनता को भुगतना पड़ेगा।फिर उस निर्णय को सही साबित करने के लिए घर-घर दस्तक दे रही है और अब वो मामला ठंडा भी नहीं हुआ है कि चुपके से रेल रूटों का निजीकरण करने का फैसला ले लिया। उन्होंने कहा कि इस सरकार को स्पष्ट तौर पर कह देना चाहिए कि उनसे देश की आर्थिक स्थिति संभाली नहीं जा रही है और देश व जनहित में इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि देश और ज्यादा आर्थिक नुक्सान से बचे, क्योंकि अब तक केंद्र सरकार अपने 6 साल के कार्यकाल में एक भी फैसला जनहित में नहीं ले सकी है तथा जितने भी निर्णय लिए हैं, उनसे देश को नुक्सान ही उठाना पड़ा है।