अन्नदाताओं से धोखाधड़ी रोकने के ई-नेम प्रोजैक्ट को लागू करने में सरकार फेल

Edited By Ekta, Updated: 19 Jun, 2019 12:26 PM

government fails to implement e name project to prevent fraud

हिमाचल की मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़कर अन्नदाताओं से धोखाधड़ी रोकने में हिमाचल सरकार और राज्य का मार्केटिंग बोर्ड पूरी तरह से फेल रहा है। केंद्र सरकार ने बीते 3 सालों के दौरान ई-नेम प्रोजैक्ट के तहत हिमाचल को 12 करोड़ रुपए से अधिक का...

शिमला (देवेंद्र): हिमाचल की मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़कर अन्नदाताओं से धोखाधड़ी रोकने में हिमाचल सरकार और राज्य का मार्केटिंग बोर्ड पूरी तरह से फेल रहा है। केंद्र सरकार ने बीते 3 सालों के दौरान ई-नेम प्रोजैक्ट के तहत हिमाचल को 12 करोड़ रुपए से अधिक का बजट दिया है ताकि प्रदेश की चयनित मंडियों में ऑनलाइन उत्पाद बेचने की सुविधा शुरू की जा सके। हैरानी इस बात की है कि 3 साल से अधिक वक्त बीतने के बाद भी प्रदेश की किसी भी मंडी में यह सुविधा शुरू नहीं की गई। असेईंग लैब समेत मंडियों में ऑनलाइन ऑक्शन के लिए ढांचागत सुविधाएं जुटाने के बजाय केंद्र से मंजूर ज्यादातर बजट किसानों की ट्रेनिंग व कम्प्यूटर इत्यादि खरीदने पर खर्च किया गया, जबकि साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई-नेम प्रौजेक्ट का शुभारंभ इस उम्मीद के साथ किया था कि देशभर में ई. ऑक्शन शुरू होने से किसानों के साथ धोखाधड़ी रुकेगी।  

प्रथम चरण में हिमाचल की सोलन और ढली मंडी को इस प्रोजैक्ट में शामिल किया गया, लेकिन 1 साल के भीतर केंद्र सरकार ने हिमाचल की 17 अन्य मंडियों को ई-नेम प्रोजैक्ट में शामिल किया। उस दौरान दावा किया गया कि हिमाचल की 19 मंडियां राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ी जा चुकी हैं और ई-नेम प्रोजैक्ट देशभर के किसानों बागवानों के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकने में कारगर साबित होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मसलन प्रदेश में हर साल दर्जनों किसान व्यापारियों की लूट का शिकार हो रहे हैं। बीते साल भी सेब सीजन के दौरान बागवानों की करोड़ों की पेमैंट व्यापारियों द्वारा हड़पी गई है। हालांकि किसानों के आंदोलन के बाद प्रदेश के विभिन्न पुलिस थानों में उनके खिलाफ अब जाकर एफ.आई.आर. दर्ज की जा रही है।

हिमाचल की चयनित 19 मंडियों में से एक भी सब्जी मंडी में शुरू नहीं हो पाई कृषि व बागवानी उत्पादों की ऑनलाइन ऑक्शन

हिमाचल की 19 मंडिया राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ी जानी थीं। इसके बाद किसानों व बागवानों के उत्पादों की ई. ऑक्शन करने की योजना थी। यानी प्रदेश की चयनित मंडियों में बैठकर किसानों को देश के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रही 70 मंडियों में ऑनलाइन उत्पाद बेचने की सुविधा मिलनी थी। ऑनलाइन ऑक्शन होते ही किसानों के बैंक खाते में व्यापारियों द्वारा पेमैंट डालने का प्रावधान इस स्कीम में किया गया। इसके शुरू होने के बाद प्रदेश के किसी भी किसान को बाहरी राज्यों का रुख न करना पड़ता, लेकिन किसानों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए बनाई गई यह स्कीम धरातल पर नहीं उतारी जा सकी।

इन मंडियों में शुरू होनी थीं ऑनलाइन ऑक्शन

ई-नेम प्रोजैक्ट में शिमला की ढली मंडी, सोलन, जसूर, परवाणू, भट्टाकुफर, भुंतर, ढकोली, कांगड़ा, पालमपुर, बंदरोर, पतलीकुहल, मंडी, ऊना, संतोषगढ़, चम्बा, हमीरपुर, पोंटा साहब पराला और रोहड़ू मंडी को शामिल किया गया, लेकिन इनमें से किसी भी मंडी में ई. ऑनलाइन ऑक्शन शुरू नहीं हो पाई है।

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