प्रदेश से निकलने वाले सॉलेड वेस्ट के मैनेजमेंट में सरकार नाकाम : राणा

Edited By kirti, Updated: 22 Feb, 2020 04:17 PM

government failed in managing the waste waste coming out of the state

सरकार के लापरवाह रवैये के कारण प्रदेश की 54 नगर परिषदों में सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट नियम अभी तक न लागू हो पाने के कारण अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार 1 अप्रैल से हर नगर परिषद को 1 लाख रुपए प्रति माह जुर्माना लगेगा।

हमीरपुर: सरकार के लापरवाह रवैये के कारण प्रदेश की 54 नगर परिषदों में सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट नियम अभी तक न लागू हो पाने के कारण अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार 1 अप्रैल से हर नगर परिषद को 1 लाख रुपए प्रति माह जुर्माना लगेगा। यह बात कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कही है। उन्होंने कहा कि एनजीटी ने इस संबंध में सरकार को 2018 में आदेश जारी कर दिए थे लेकिन हर मंच पर पर्यावरण की दुहाई देने वाली बीजेपी सरकार ने इन आदेशों को काफी हल्के में लिया और अब एनजीटी ने 5 लाख से कम आबादी वाले शहरी क्षेत्रों की नगर परिषदों से इस रूल को लागू न कर पाने की दशा में 1 लाख रुपया प्रति माह जुर्माने का फरमान सुनाया है।

शहरी विकास विभाग खुद मान रहा है कि प्रदेश की 54 नगर परिषदों में सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट रूल को लागू होने के लिए मात्र 1 महीना बचा है। उसके बाद जुर्माना वसूला जाना शुरू हो जाएगा। हालांकि एनजीटी ने अपनी सुनवाई जो कि 24 फरवरी को होनी थी उसको 20 मार्च तक एक्सटेंड कर दिया है लेकिन यह तय है कि प्रदेश की अधिकांश नगर परिषदों को यह जुर्माना लगेगा। क्योंकि सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए अभी तक नगर परिषदों के पास कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपए बजट के बावजूद भी सरकार अगर प्रदेश के कूड़े-कचरे के प्रबंधन में नाकाम रही है तो इसका दोष नगर परिषदों से ज्यादा सरकार की कारगुजारी पर भी जाता है। क्योंकि अगर सरकार के पास दृढ़ इच्छाशक्ति संकल्प होता तो रूल लागू करने की अंतिम तिथि से पहले सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट का इंतजाम नगर परिषदों में हो गया होता।

दस्तावेजों व विज्ञापनों में सफाई के नाम पर करोड़ों खर्चने वाली सरकार इस दिशा में अभी तक कोई सॉलेड कदम नहीं उठा पाई है। हालांकि सरकार ने विधानसभा सत्र का हवाला देते हुए एनजीटी से इस मामले में कुछ दिनों की मोहलत मांगी है लेकिन सिर्फ मोहलत मिलने से इस समस्या का हल नहीं हो जाएगा। प्रदेश में पयर्टन की वकालत करने वाली सरकार अगर 1 साल से शहरों से निकलने वाले सॉलेड वेस्ट मैनेजमेंट का हल ही नहीं कर पाई है तो फिर सरकार पर्यावरण व पर्यटन में आपार संभावनाओं की वकालत किस आधार पर कर रही है। कुदरती तौर पर सुंदर पहाड़ी प्रदेश हिमाचल प्रदेश की सत्तासीन बीजेपी सरकार इस मामले को लेकर साल भर से तो सोई रही और अब जब रूल लागू करने की अंतिम तिथि सिर पर आ चुकी है तो इस मामले पर मोहलत मांगी जा रही है।

इसके अतिरिक्त प्रदेश के बड़े मंदिरों के आसपास के धार्मिक नगरों से निकलने वाले सॉलेड वेस्ट का भी कोई पुख्ता इंतजाम सरकार नहीं कर पाई है। जिस कारण से इन धार्मिक नगरों की पावनता पर गंदगी का ग्रहण लगा हुआ है। स्वच्छ भारत व स्वच्छ प्रदेश के जुमले बोलने वाली सरकार को यह समझने की आवश्यकता है कि अब सॉलेड वेस्ट मामले में धरातल पर काम किए बगैर जुमले गढने से बात नहीं बनेगी। अगर सरकार की लापरवाही का सबब यही रहा तो जल्द ही कुदरती तौर पर सुंदर यह प्रदेश यहां-वहां फैंके जाने वाले कचरे के कारण इसकी फिजाओं में जहर घुल जाएगा और जो लोग मंचों से आज की तारीख में पर्यावरण की दुहाई दे रहे हैं। वह हर बार की तरह फिर झूठे साबित होंगे। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रदेश को कुदरत खुद स्वच्छ न बनाए तो सरकार से तो कोई उम्मीद ही नहीं की जा सकती है।

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