सरकारी विभाग कर्जदार, सिर्फ उपभोक्ताओं पर तलवार

Edited By kirti, Updated: 13 Sep, 2018 05:13 PM

government department borrower only sword on consumers

सरकार व विभागों द्वारा जितने भी नियम व कानून की व्यवस्था बनाई जाती है वह अधिकांश तौर पर आम जनता...

 

पालमपुर: सरकार व विभागों द्वारा जितने भी नियम व कानून की व्यवस्था बनाई जाती है वह अधिकांश तौर पर आम जनता पर ही लागू होकर रह जाती है जबकि लागू नियमों व कानूनों से सरकारी विभागों सहित बड़े-बड़े पूंजीपतियों को आंच तक नहीं आती है। प्रदेश में कई सरकारी विभाग ऐसे हैं जोकि सरकारी भुगतान करने की बजाय उस पर कुंडली मार बैठे हैं। इसका उदाहरण सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग पालमपुर डिवीजन में देखने को मिला। जहां शायद ही कोई ऐसा सरकारी विभाग है जो आई.पी.एच. द्वारा निर्धारित मासिक समय अवधि पर बिलिंग करता है। सरकारी विभागों की इस गैर-जिम्मेदार कार्यप्रणाली से आई.पी.एच. विभाग पालमपुर का लाखों रुपए की बिलिंग गत एक से डेढ़ वर्षों से रुकी है।

विभाग की विडंबना यह है कि एक विभागीय अधिकारी डिल्फाटर हो चुके विभागीय अधिकारी को इस संदर्भ में सूचना देने से आगे नहीं बढ़ रहा हैं जबकि इसके तहत आम उपभोक्ता पर विभागीय व कोर्ट नोटिस की विभाग गाज गिराने सहित एक निश्चित अवधि पश्चात पेयजल कनैक्शन को काट देता है। सरकारी विभागों पर ऐसी कोई प्रक्रिया पहले अमल में नहीं लाई जा रही थी। विभाग ने इस दिशा में आम उपभोक्ताओं के एतराज व विभाग की प्रभावित होती कार्यप्रणाली के तहत अब सरकारी डिफाल्टर विभाग के खिलाफ भी उचित कार्रवाई करने की योजना पर कार्य आरंभ कर दिया है। 

 

क्या है बिल जमा करवाने का विभागीय नियम व सजा
सरकार व सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा मासिक पानी के बिल जमा करवाने के माह का दूसरा सप्ताह से लेकर माह के अंतिम सप्ताह तक हर उपभोक्ता के लिए एकसमान नियम लागू हैं। इसका उल्लंघन करने वाले उपभोक्ता विभाग द्वारा सर्वप्रथम चेतावनी पत्र जारी किया जाता है। इसके बाद भी अगर बिल भुगतान नहीं होता है तो विभाग इसके तहत अन्य शॉट नोटिस उपभोक्ता को जारी करता है जिसमें बिल जमा करवाने व जवाब देने के लिए उपभोक्ता को अवसर दिया जाता है। यदि इसके बावजूद भी बिल भुगतान नहीं होता है तो विभाग द्वारा उपभोक्ता को डिल्फाटर घोषित कर जहां उसका पेयजल कनैक्शन काट दिया जाता है। विभागीय बिलिंग के लिए उपभोक्ता के खिलाफ विभाग द्वारा कानूनी कार्यवाही अमल लाने तक का प्रावधान है।'
 

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