NGT के खिलाफ याचिका दायर करने में उलझी सरकार, सरकारी प्रोजैक्टों पर भी लगा विराम

Edited By Ekta, Updated: 13 Nov, 2018 10:51 AM

government complicating the petition filed against ngt

शिमला सहित प्रदेश के कुछ अन्य शहरों में निर्माण कार्य को लेकर आए एन.जी.टी. के आदेशों के खिलाफ प्रदेश सरकार अब तक उनके खिलाफ याचिका दायर नहीं कर पाई है। इस निर्णय के अनुसार शिमला जैसे शहरों में अढ़ाई मंजिल से अधिक निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता।...

शिमला (कुलदीप): शिमला सहित प्रदेश के कुछ अन्य शहरों में निर्माण कार्य को लेकर आए एन.जी.टी. के आदेशों के खिलाफ प्रदेश सरकार अब तक उनके खिलाफ याचिका दायर नहीं कर पाई है। इस निर्णय के अनुसार शिमला जैसे शहरों में अढ़ाई मंजिल से अधिक निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। प्रदेश सरकार अभी तक इसी उलझन में फंसी है कि एन.जी.टी. के आदेशों को हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देनी है। इसके चलते प्रदेश के हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं और शिमला और कसौली सहित प्रदेश की अन्य सैरगाहों का पर्यटन कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। 

सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार एन.जी.टी. के आदेशों को चुनौती देने से इसलिए भी कतरा रही है क्योंकि प्रदेश में अब तक इस तरह का कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है, जिससे यह पता चल सके कि किस जिला में भूमि के भार सहन करने (सॉयल बियरिंग कैपेसिटी) कितनी है। भूमि के भार सहन करने की क्षमता का आकलन करने के लिए सरकार की तरफ से विशेषज्ञों की कमेटी गठित की गई है, जो जल्द अपनी रिपोर्ट देगी। इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस जिला या शहर में भवनों का निर्माण कार्य कितनी मंजिलों तक किया जा सकता है। इसमें भूकंप जैसी आपदा आने की स्थिति में भवनों के सुरक्षित रहने सहित अन्य पहलुओं का विश्लेषण भी किया जाएगा। 

सरकारी प्रोजैक्टों पर भी लगा विराम
एन.जी.टी. आदेश आने के बाद कई बड़े सरकारी प्रोजैक्टों पर भी विराम लग गया है। इसके तहत प्रदेश स्तरीय आई.जी.एम.सी. अस्पताल शिमला का निर्माण कार्य रुक गया है और कैंसर अस्पताल शिमला में करोड़ों रुपए की मशीनरी को स्थापित नहीं किया जा सका है। इसमें कैंसर के लिए लीनियर एक्सलरेटर मशीन को स्थापित करना भी शामिल है। चिकित्सा संस्थानों के अलावा स्कूल सहित अन्य महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण कार्य रुका है। इससे केंद्र सरकार से मिली करोड़ों रुपए की राशि खर्च नहीं हो पा रही है। शिमला स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के जल्द सिरे न चढऩे का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है।

कारोबारी कोर्ट जाने पर कर रहे विचार
एन.जी.टी. के आदेशों को करीब 1 साल होने जा रहा है लेकिन सरकार अब तक इसे चुनौती नहीं दे पाई है। इससे पर्यटन कारोबार से जुड़े कुछ बड़े कारोबारी अपने स्तर पर अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रहे हैं। 

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