निजी स्कूलों में सटीक व्यवस्था नहीं कर सकी सरकार

Edited By Ekta, Updated: 09 Apr, 2019 01:09 PM

government can not make precise arrangements in private school

बार-बार विरोध के स्वर उठने के बाद भी सरकार निजी स्कूलों के लिए एक सटीक व्यवस्था नहीं कर सकी है। यद्यपि अभिभावक आम तौर पर यह बोलते हुए सुने जा सकते हैं कि निजी स्कूल बार-बार हर कक्षा में प्रवेश के लिए दाखिला फीस ले रहे हैं, जोकि जायज नहीं है। प्रैस...

बिलासपुर (ब्यूरो): बार-बार विरोध के स्वर उठने के बाद भी सरकार निजी स्कूलों के लिए एक सटीक व्यवस्था नहीं कर सकी है। यद्यपि अभिभावक आम तौर पर यह बोलते हुए सुने जा सकते हैं कि निजी स्कूल बार-बार हर कक्षा में प्रवेश के लिए दाखिला फीस ले रहे हैं, जोकि जायज नहीं है। प्रैस को जारी बयान में सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण एवं विकास मंच के अध्यक्ष पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डा. के.डी. लखनपाल ने कहा कि निजी स्कूलों के प्रबंधन ने वर्दियों व किताबें की भी अपनी दुकानें खोल रखी हैं तथा निर्देश दिए हैं कि बच्चे इन्हीं दुकानों या स्कूलों से ही सारी चीजें खरीदेंगे। इन सब निर्देशों से अभिभावकों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव हर समय बना रहता है। एक प्रजातंत्र देश में मनमानी कहां तक चल सकती है। यह एक बहुत गंभीर और चिंताजनक मुद्दा है जोकि लोगों को समझ नहीं आ रहा।  

निजी स्कूलों का आज जाल बिछ चुका है तथा इनकी अपनी यूनियनें एवं एसोसिएशनें इतनी मजबूत बन चुकी हैं कि ये राजनीतिक प्रभाव के चलते कथित तौर पर मनमानी पर उतारू हैं। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल का प्रबंधन माननीयों के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंप रहा है तथा एक दबाव बनाया जा रहा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई न की जाए और साथ में यह भी कर रहे हैं कि बच्चे और अभिभावक अपनी मर्जी से उनके पास आते हैं तथा वे उनसे जबरदस्ती नहीं करते हैं। उन्होंने सरकार विशेषकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि निजी शिक्षा के नियंत्रण के लिए देश की संसद व प्रदेश विधानसभा में एक बिल लाकर इस सारी प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाया जाए ताकि अभिभावकों पर अनावश्यक दबाव न पड़े। साथ ही सरकारी तंत्र को भी सुधारा जाए। 

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