Edited By Ekta, Updated: 29 Jun, 2018 04:39 PM
सरकारी कार्यो को लेकर सरकारी ठेकेदार या सरकारी तंत्र से जुड़े लोग सरकार व आम लोगों के लिए कितने वफादार हैं। इसका अंदाजा पनहार के समीप घडेला में झाड़ियों में फैंके गए सरकारी सीमैंट के खराब हुए बैगों से लगाया जा सकता है। यह वही सरकारी सीमैंट है जिसे...
पुढबा (कमल): सरकारी कार्यो को लेकर सरकारी ठेकेदार या सरकारी तंत्र से जुड़े लोग सरकार व आम लोगों के लिए कितने वफादार हैं। इसका अंदाजा पनहार के समीप घडेला में झाड़ियों में फैंके गए सरकारी सीमैंट के खराब हुए बैगों से लगाया जा सकता है। यह वही सरकारी सीमैंट है जिसे आम जनमानस की सहुलियत के लिए प्रयोग किया जाना था, परंतु इसका इस तरह से झाड़ियों में फैंका जाना जहां एक तरफ लोक निर्माण विभाग, सिंचाई व जन स्वास्थ्य विभाग व मनरेगा के तहत हो रहे कार्यों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।
यह बात लोगों को रास नहीं आ रही है कि आमतौर पर सरकारी काम का सीमैंट ठेकेदार या संबंधित एजैंसी को आवंटित किया जाता है। हर कार्य की गुणवत्ता को निर्धारित करने के लिए निरीक्षक या अन्य अधिकारी कार्य के दौरान वहां मौजूद रहते हैं फिर भी इस तरह से सीमैंट का खराब हो जाना या झाड़ियों में फैंका जाना सरकारी तंत्र की भी पोल खोल रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों वार्ड पंच घडेला मिलाप चंद, सुभाष चंद व अजीत सिंह के अनुसार व सुबह जब छिद्र महादेव की सड़क से घडेला आ रहे थे तो उन्होंने यह सरकारी सीमैंट के खराब हुए 18 बैग वहां झाड़ियों में पड़े हुए देखे। इस तरह से सीमैंट के दुरूपयोग का यह मामला कहीं न कहीं सभी विभागों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।क्योंकि विधित है कि सरकारी सीमेंट लोक निर्माण विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग व मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्यों के लिए ही संबंधित एजैंसी या सरकारी ठेकेदार को आवंटित किया जाता है।